‘मिलकर बात करने का वायदा अधूरा रह गया मुकेश चंद्राकर’

दिल्ली। मुकेश चंद्राकर बस्तर की पत्रकारिता का वह नाम जिसे देश-विदेश से आने वाले सभी पत्रकार मिलने की इच्छा रखते…

क्या जीएन साईबाबा भगत सिंह के रास्ते पर चल रहे थे?

भूमिहीनों के लिए भूमि के बंटवारे के लिए आजादी से पहले की अधूरी मांगों को पूरा करने के लिए आजादी…

बेकसूरी की सज़ा और प्रताड़ना ने ली प्रो. साईबाबा की जान

कुछ बीमारियों के चलते दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी प्राध्यापक, सामाजिक कार्यकर्ता, कवि, लेखक, विकलांगता से परेशान प्रोफेसर जीएन साईबाबा का…

आदिवासी मजदूर बिरसा मांझी को बोकारो पुलिस क्यों बता रही एक लाख का ईनामी नक्सल?

बोकारो। झारखंड अलग राज्य गठन के 24 साल हो गए, एक रघुवर दास को छोड़कर राज्य के सभी मुख्यमन्त्री आदिवासी…

‘जंगलनामा-बस्तरां दे जंगल बिच’: एक कम्युनिस्ट कार्यकर्ता का सफरनामा

जंगलनामा-बस्तरां दे जंगल बिच, यह इस किताब का पंजाबी शीर्षक है जो सन 2004 में छपी थी। इसके लेखक सतनाम…

बस्तर और झारखंड में ज्यादातर सुरक्षाबल कैंप साल 2019 के बाद खोले गए: रिपोर्ट

नई दिल्ली। बस्तर में सैन्य बलों द्वारा फर्जी मुठभेड़ में इस साल जुलाई तक 141 आदिवासियों को अपनी जान गंवानी…

आदिवासियत समाप्त करने का हिंदुत्व का फंडा जारी है

विदित हो प्राकृतिक जीवन के नज़दीक रहने वाले आदिवासी हमारे पुरखे हैं जिन्हें प्रकृति संरक्षण के बारे अद्भुत ज्ञान है।…

नागरिक सहायता केंद्र: झारखंड में जरूरतमंद व गरीबों के लिए वरदान

रांची। सरकारी बाबुओं और अधिकारियों की संवेदनहीनता और कर्तव्यहीनता के कारण सरकारी योजनाओं का लाभ आमजनों तक नहीं पहुंच पाता…

भारत में मैकार्थीवाद: अर्बन नक्सल के हौवे की वापसी !

‘मुझे पंडित नेहरू का भाषण याद आ रहा है-“आधी रात को भारत स्वाधीन होगा” 1 जुलाई की मध्यरात्रि भारत में…

बीजेपी की नींव में ही पड़ गयी है दरार

एक दिन पहले अचानक छत्तीसगढ़ से खबर आयी कि बस्तर स्थित कांकेर के जंगलों में सुरक्षा बल के जवानों के…