आइडिया ऑफ इंडिया की रीढ़ थे मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
मौलाना आज़ाद के विचार और उनका लेखन सबसे कठिन होता है धार्मिक कट्टरता और धर्मान्धता से उबल रहे समाज में, सेक्युलर सोच या सर्वधर्म समभाव [more…]
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हम एक बेशुमार गढ़े जा रहे झूठ और गोएबेलिज़्म के दौर से गुजर रहे हैं। इस दौर में इतिहास की नयी नयी व्याख्या की जा [more…]
भारत का बंटवारा 20 वीं सदी की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक था। बंटवारे के दौरान जितनी बड़ी संख्या में लोगों की जानें गईं [more…]
राजनीति निर्मम होती है। बेहद लोकप्रिय, सरल और सौम्य व्यक्ति भी कब आक्षेपों के थपेड़े में आ जाय कहा नहीं जा सकता है। 31 अक्टूबर [more…]
सन् 1919 को अफगानिस्तान औपचारिक तौर पर ब्रिटिश शासन के चंगुल से मुक्त हुआ था। 19 अगस्त अफगानिस्तान अपनी स्वाधीनता दिवस मनाता है। इस संदर्भ [more…]
औपनिवेशिक शासन से भारत की मुक्ति के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने स्वाधीनता आंदोलन के नेताओं के सपनों और आकांक्षाओं का अत्यंत [more…]
सन् 2014 के बाद का समय अपने एक खास किस्म के बदलाव की ओर अग्रसर रहा है इस दौरान नीति आयोग के नामकरण के बाद [more…]
सिविल सोसाइटी की अहमियत राजनीतिक दलों से ऊपर है। अन्य देशों में इसे प्रेशर ग्रुप के नाम से लोकतंत्र का सबसे प्रभावशाली टूल माना गया [more…]
कभी-कभी दक्खिन के खेमे में सूर्य पश्चिम से भी निकलने लगता है। ऐसी स्थिति में लोगों का भ्रमित होना स्वाभाविक है। इसी तरह की एक [more…]
अगले साल, दो हज़ार बाइस (2022) में भारतीय उपमहाद्वीप अपनी आज़ादी के पचहत्तर (75) साल पूरे करने जा रहा है। हम जानते हैं कि आज़ादी [more…]