लखनऊ। गरीबों खासकर ग्रामीण गरीबों के देशभर के आंदोलनकारी संगठनों और उनके प्रतिनिधि 4 अक्टूबर को दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब…
‘राष्ट्रीय पोषण सप्ताह’ का सरकारी ढोंग बनाम भूख से मरती मुल्क की 19 करोड़ जनता
भारत में सन् 1982 से 1 सितम्बर से 7 सितम्बर तक एक सप्ताह ‘राष्ट्रीय पोषण सप्ताह’ मनाने की शुरूआत की…
सिलेंडर नहीं, सरकार ने हाथी दे दिया जिसे पालना है मुश्किल!
ग्रामीण इलाकों की दलित बहुजन महिलाओं का अस्तित्व ईंधन का पर्याय रहा है। आज 21वीं सदी के तीसरे दशक में…
प्रधानमंत्री का स्वतन्त्रता दिवस उद्बोधन: वे बोले तो बहुत किंतु कहा कुछ नहीं
यह पहली बार हुआ है कि देश के प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस उद्बोधन को किसी गंभीर चर्चा के योग्य नहीं…
खोरी बाशिंदों के सपनों को कब्र में बदलने के कई हैं गुनहगार
‘वन भूमि से समझौता नहीं किया जा सकता।’ सुप्रीम कोर्ट के इस घोषित निश्चय के चलते, दो महीने से अरावली…
गरीब देशों में वैक्सीन को लेकर कोई झिझक नहीं
नेचर मेडिसिन नाम के जर्नल में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक टीकाकरण को लेकर विकसित व विकासशील देशों की तुलना…
महामहिम का दुखड़ा
इस संसार में सबका दुखड़ा अलग-अलग है। एक गरीब आदमी के बेरोजगार का दुखड़ा तो समझ में आता है अगर…
विपक्षी बिखराव की खेती पर बीजेपी उगाती है अपनी सत्ता की फसल
आज के भारत की तुलना एक दशक पहले के भारत से करने पर हैरानी होती है। लोकसभा (2014) में भाजपा…
विपन्नता के समुद्र में जाहिलियत की नदी बह रही है!
जाहिलियत और विपन्नता ही अब इस देश की पहचान बन गयी है। और अफगानिस्तान का तालीबानी निजाम हमारा आदर्श है।…
भारत एक गंदगी प्रधान देश है!
हमारा भारत देश महान है। विदेशियों (पश्चिमी देश वाले) का कहना है कि भारत सपेरों, नटों और ठगों (भिखारियों से…