क्या मोदी सरकार देश भर में भूखे पेट खाली जेब आंखों में घर जाने की आस लिए मजदूरों से इतिहास…
बाजार लाचार, समाज बेहाल, वापस सरकार
इस सदी में तीसरी बार बाजार ने घुटने टेके हैं और सरकारों की वापसी हुई है। पहली बार सरकारों की…
कोरोना संकट: भारत के विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों की मोदी को सलाह
नई दिल्ली। एनडीटीवी के प्रणय रॉय के साथ 1 घंटे से अधिक समय की बातचीत में भारत के विश्व प्रसिद्ध…
कोविड-19 से जुड़े कानून व उनके मायने
आज हम मानव सभ्यता के जिस दौर में रह रहे हैं वहां जीवन का कोई भी पहलू ऐसा नहीं है,जिसमें…
अथातो चित्त जिज्ञासा: जॉक लकान के मनोविश्लेषण के सिद्धांतों पर केंद्रित एक विमर्श की प्रस्तावना
अभी की एक गहरी चिंता और अवसाद से भरी विमर्श के गतिरोध की चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिस्थितियों में नितांत तात्कालिक प्रसंगों…
अपने राजनीतिक मौत के खतरे की पैदाइश है वारिस पठान का यह बयान
भारत में सांप्रदायिकता के सैकड़ों नाले और परनाले बह रहे हैं। उन्हीं नालों में से एक की पैदाइश वारिस पठान…
माहेश्वरी का मत: मीडिया का नया दौर और हिंदी पत्रकारिता
राजकिशोर की तरह के एक स्वातन्त्र्य चेता और पत्रकारिता के जगत में अपने एक अलग ही छंद के रचयिता पत्रकार…
पीएम मोदी के माथे पर चस्पा हो गया है नागरिकता को खंडित करने का यह कलंक
आज से हम एक धार्मिक राज्य जिसे अंग्रेजी में थियोक्रेटिक स्टेट कहा जाता है, के नागरिक हैं। नागरिकता विधेयक पास…
यूएपीए संशोधन: लोकतंत्र के ताबूत में एक और कील!
“किसी संस्था की जगह एक व्यक्ति का मनोविज्ञान ही आतंकवाद की उत्पत्ति का स्रोत होता है। अगर सबसे पहले किसी…