हरियाणा में भाजपा की हालत इतनी पतली कि 10 में से 6 उम्मीदवार पूर्व कांग्रेसी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी के नाम पर चुनाव मैदान में उतरी भाजपा भले ही अबकी बार चार सौ पार का दावा कर रही हो लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उसे अपने नेताओं के बजाय आयातित नेताओं पर भरोसा करना पड़ रहा है। विभिन्न राज्यों में दूसरे दलों से आए नेताओं को लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया जा रहा है। इस सिलसिले में हरियाणा का मामला बेहद दिलचस्प है।

दरअसल हरियाणा में भाजपा का आत्मविश्वास बुरी तरह डिगा हुआ है। वहां उसने पहले तो साढ़े नौ साल राज करने के बाद मुख्यमंत्री बदलना पड़ा। इससे जाहिर हुआ कि उसे सूबे में सत्ता विरोधी लहर का अंदाजा है, जिसे कम करने के लिए उसने चुनाव से ऐन पहले मुख्यमंत्री बदला। उसके बाद जब लोकसभा उम्मीदवारों की घोषणा हुई तो राज्य की 10 में से छह सीटों पर ऐसे उम्मीदवार उतारे जो पहले कांग्रेस या दूसरी पार्टी में रहे हैं। उनमें कुछ तो पहले से ही भाजपा के सांसद हैं और जो नए लाए गए हैं वे भी पुराने कांग्रेसी हैं।

सबसे हैरान करने वाला फैसला तो उद्योगपति नवीन जिंदल का रहा, जिनको पार्टी में शामिल करने के आधे घंटे के अंदर लोकसभा का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया। वे कुरुक्षेत्र सीट से दो बार कांग्रेस के सासंद रहे हैं। उनकी मां सावित्री जिंदल भी कांग्रेस से विधायक थीं और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार मे मंत्री भी रहीं। इसके अलावा भाजपा ने गुड़गांव सीट पर फिर से राव इंद्रजीत सिंह को उम्मीदवार बनाया है। वे नरेंद्र मोदी की सरकार में मंत्री हैं और पहले मनमोहन सिंह की सरकार में भी मंत्री थे। वे कांग्रेस की टिकट पर इसी सीट से जीतते थे।

राज्य की सिरसा लोकसभा सीट से भाजपा ने अशोक तंवर को उम्मीदवार बनाया है, जो उसी सीट से पहले कांग्रेस के सांसद रहे हैं और छह साल तक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। रोहतक सीट से डॉक्टर अरविंद शर्मा फिर से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। वे पहले कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी में रह चुके हैं और दो बार करनाल सीट से कांग्रेस के सांसद रहे हैं।

इसी तरह भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से भाजपा ने सांसद धर्मबीर सिंह को फिर उम्मीदवार बनाया है। वे भी कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में गए थे। हिसार लोकसभा सीट से इस बार भाजपा ने चौधरी देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला को उम्मीदवार बनाया है। वे पहले इंडियन नेशनल लोकदल के नेता थे और निर्दलीय रूप से विधानसभा का चुनाव जीते थे। लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद वे भाजपा में शामिल हुए उन्हें लोकसभा उम्मीदवार बना दिया गया।

आधी से ज्यादा सीटों पर कांग्रेस से आए नेताओं को उम्मीदवार बनाने से विभिन्न इलाकों से भाजपा कार्यकर्ताओं में असंतोष की खबरें भी आ रही हैं, इसलिए चुनाव में बड़े पैमाने पर भितरघात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। देखने वाली बात होगी कि भाजपा नेतृत्व अपने कार्यकर्ताओं के असंतोष से किस तरह निबटता है।

(अनिल जैन वरिष्ठ पत्रकार हैं और दिल्ली में रहते हैं।)

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