Friday, April 19, 2024

उत्तराखंड में भाजपा टिकटों की बाँट… गैरों पे करम, अपनों पे सितम

कांग्रेस में टिकट कटने की आशंका के चलते बीते 17 जनवरी को भाजपा में शामिल हुईं महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य को तो भाजपा ने टिकट दे दिया लेकिन भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी का नाम पहली लिस्ट से गायब है। गैरों पे करम, अपनों पे सितम….। भाजपा प्रत्याशियों की पहली लिस्ट ने यह फ़िल्मी गीत साकार कर पार्टी के लिए वफादार रहे अपनों को विद्रोह के लिए मजबूर कर दिया। भाजपा प्रत्याशियों की सूची में यमकेश्वर से ऋतु खंडूड़ी का नाम न होने के फैसले ने पार्टी के कई नेताओं को हैरानी में डाल दिया है। दरअसल ऋतु खंडूड़ी भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष होने के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की बेटी हैं और खंडूड़ी लम्बे समय तक राज्य में बड़ा सैन्य चेहरा रहे हैं।

दलित महिला विधायकों के काट दिये टिकट

उत्तराखण्ड विधानसभा के आगामी 14 फरवरी को होने वाले चुनाव के लिये भाजपा द्वारा जारी प्रत्याशियों की पहली सूची में महिला शक्ति की घोर उपेक्षा की गयी है। प्रदेश की कुल 70 में 59 सीटों के लिये जारी सूची में केवल 6 महिलाओं को शामिल किया गया है। यही नहीं कांग्रेस की तरह और अधिक महिलाओं को टिकट देने के बजाय 3 मौजूदा महिला विधायकों के टिकट काट दिये हैं। रोचक बात तो यह है कि जिन भाजपा ने महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्षा ऋतु खण्डूड़ी को अधिक से अधिक महिलाओं को टिकट दिलवाने थे उनका अपना ही टिकट कट गया। श्रीमती ऋतु खण्डूड़ी पौड़ी जिले की यमकेश्वर सीट से भाजपा की विधायक हैं।

महिला मोर्चा की अध्यक्ष के साथ ही पार्टी ने दलित समाज की दो महिला विधायकों, श्रीमती मुन्नी देवी और श्रीमती मीना गंगोला के टिकट भी काट दिये। थराली के विधायक मगन लाल की मृत्यु के बाद सहानुभूति लहर का लाभ उठाने के लिये श्रीमती मुन्नी देवी को उप चुनाव लड़ाया गया था जिसमें वह विजयी रहीं, लेकिन अब काम निकल जाने के बाद उन्हें दूध की मक्खी की तरह अलग कर उनके स्थान पर भोपाल राम टमटा को टिकट दे दिया। इसी प्रकार मीना गंगोला की जगह भी पुरुष प्रत्याशी फकीर राम टमटा को टिकट दे दिया। टिकट कटने से आहत विधायक मुन्नी देवी का कहना है कि मैं नहीं जानती कि मेरा टिकट किस कारण काटा गया। यदि एंटी इनकंबेंसी है तो वह सरकार के विरुद्ध है।

भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्षा का ही टिकट कट गया

कई वर्ष से यमकेश्वर से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ती रहीं रेनू बिष्ट को भी भाजपा ने प्रत्याशी बना कर भाजपा ने महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष ऋतू खण्डूड़ी का ही टिकट काट दिया। ऋतू खंडूड़ी के भाई मनीष खंडूड़ी कांग्रेस में हैं। संभवतः इसीलिए भाजपा को ऋतु खंडूड़ी पर भरोसा न रहा हो। इधर महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्षा सरिता आर्य को पार्टी से बगावत करा कर टिकट दिया है। सरिता आर्य ने कुछ ही दिन पहले टिकट कटने की केवल आशंका से कांग्रेस पार्टी छोड़ी थी, जबकि कांग्रेस ने अभी तक सूची भी जारी नहीं की। उन्होंने कहा था कि प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते जब मैं अपना ही टिकट पक्का नहीं कर पा रही हूं तो बाकी महिलाओं को कैसे टिकट दिला पाऊंगी। लेकिन वह अब जिस पार्टी में शामिल हुयी हैं उसी पार्टी ने महिलाओं के टिकट बढ़ाने के बजाय महिला मोर्चा की अध्यक्ष समेत मौजूदा विधायकों के टिकट कटवा दिये।

 6 को टिकट दिए 3 के काट दिए 

भाजपा ने जिन महिलाओं को प्रत्याशियों की पहली सूची में शामिल किया है उनमें देहरादून कैंट से सविता कपूर, सोमेश्वर से रेखा आर्य, नैनीताल से सरिता आर्य, खानपुर से कुंवरानी देवयानी, यमकेश्वर से रेनू बिष्ट और पिथौरागढ़ से चन्द्रा पन्त शामिल हैं। सविता कपूर दिवंगत विधायक हरबंश कपूर की पत्नी और चन्द्रा पन्त कैबिनेट मंत्री रहे प्रकाश पन्त की पत्नी हैं। बहुचर्चित विधायक कुंवर प्रणवसिंह चैम्पियन का टिकट उनकी हरकतों के कारण काट दिया गया है। मगर कहीं वह विद्रोह कर बागी हरकसिंह रावत के साथ न चले जाएं, इसलिये उनके बदले उनकी पत्नी देवयानी को टिकट दिया गया है। समझा जाता है कि दूसरे विवादास्पद विधायक देशराज कर्णवाल की जगह भी उनकी पत्नी को टिकट दिया जा रहा है।

दलबदलू टिकट पा गए और वफादार रह गए

भाजपा प्रत्याशियों की पहली लिस्ट में दलबदल कर पार्टी में आने वाले भी टिकट पाने में कामयाब रहे। कुछ को झटका भी लगा। पुरोला से दुर्गेश्वर लाल को टिकट मिला। उन्होंने गुरुवार को ही भाजपा ज्वाइन की थी। इसी तरह कांग्रेस से भाजपा में आईं सरिता आर्य को भी नैनीताल से प्रत्याशी बनाया गया। पुरोला से कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए राजकुमार की किस्मत खराब रही। वे टिकट पाने में नाकामयाब रहे।

भाजपा सूची पर भगदड़ का साया

कल जारी भाजपा की सूची में उत्तर प्रदेश की तरह भगदड़ का डर साफ नजर आ रहा है। प्रदेश में एण्टी इन्कम्बेंसी फैक्टर इतना प्रबल है कि अब तक लगभग 60 प्रतिशत विधायक हारते रहे हैं। जिस पार्टी के जितने अधिक विधायक होते हैं उतने अधिक हार जाते हैं। इसलिये संभावना व्यक्त की जा रही थी कि भाजपा कम से कम 25 विधायकों के टिकट तो काटेगी ही, मगर उत्तर प्रदेश के बाद उत्तराखण्ड में भी भगदड़ की आशंका से भाजपा इतने अधिक विधायकों के टिकट काटने की हिम्मत नहीं जुटा सकी। खासकर हरक सिंह रावत प्रकरण के बाद कांग्रेस गोत्र के उन विधायकों को नहीं छेड़ा गया जो कि 2016 की कांग्रेस की बगावत के समय भाजपा में शामिल हुये थे। इनमें से शैलेन्द्र मोहन सिंघल को भी जसपुर से टिकट दे दिया गया जबकि वह 2017 में चुनाव हार गये थे।

जहां तहां भड़क रहा विद्रोह

भाजपा की लिस्ट में नाम न होने पर नाराजगी जताने वालों में विधानसभा के उपाध्यक्ष व अल्मोड़ा विधायक रघुनाथ सिंह चौहान भी शामिल हैं। अल्मोड़ा विधायक चौहान ने कहा कि भाजपा का संगठन पहाड़ विरोधियों के हाथों में है। झबरेड़ा सीट पर फैसला रोके जाने पर भाजपा के मौजूदा विधायक देशराज कर्णवाल ने भी नाराजगी जताई। विधानसभा की यमुनोत्री सीट पर नाराज भाजपा नेता जगबीर सिंह भण्डारी ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। इसी प्रकार कर्णप्रयाग सीट पर टिकट न मिलने से टीका प्रसाद मैखुरी, देव प्रयाग सीट पर पूर्व ब्लाक प्रमुख मगन सिंह बिष्ट, श्रीनगर सीट पर पूर्व भाजयुमो सचिव सूरज घिल्डियाल, थराली से बलबीर घुनियाल, घनसाली सीट पर दर्शनलाल और धनोल्टी सीट पर महावीर रांगड़ ने विद्रोह कर दिया है।

इनमें से अधिकांश ने भाजपा के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। अन्य कई क्षेत्रों से विद्रोह की खबरें आ रही हैं। टिकट कटने से आहत विधायक मुन्नी देवी का कहना है यदि एंटी इनकंबेंसी है तो वह सरकार के विरुद्ध है। देवप्रयाग से टिकट न मिलने पर पूर्व ब्लॉक प्रमुख मगन सिंह बिष्ट ने कहा कि वह जनभावनाओं के अनुरूप देवप्रयाग से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और अन्याय का जवाब देंगे। नरेंद्रनगर सीट पर भाजपा का टिकट न मिलने के बावजूद पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत ने चुनाव लड़ने का निर्णय बरकरार रखा है। उन्होंने कहा, वे हर हाल में चुनाव लड़ेंगे।

(देहरादून से वरिष्ठ पत्रकार जयसिंह रावत की रिपोर्ट।)

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