Saturday, April 27, 2024

अरुण माहेश्वरी

माहेश्वरी का मत: विश्व इतिहास की विरल घटना है नागरिकता क़ानून विरोधी आंदोलन

नागरिकता क़ानून विरोधी महा आलोड़न के स्वत:स्फूर्त प्रवाह में राजनीतिक दलों की भूमिका इसके मार्ग की सारी बाधाओं की सफ़ाई तक ही सीमित रहनी चाहिए । इस आंदोलन का विस्तार जिस तेज़ी से सचमुच के एक नए, जाति, धर्म और...

माहेश्वरी का मत: भारतीय राजनीति और इतिहास की अद्वितीय परिघटना है नागरिकता कानून विरोधी आंदोलन

नागरिकता कानून विरोधी आंदोलन की गहराई और विस्तार ने भारत को आज सचमुच बदल डाला है। सिर्फ छः महीने पहले पूर्ण बहुमत से चुन कर आए मोदी और उनके शागिर्द शाह का आज देश के आठ राज्यों में तो जैसे प्रवेश ही...

माहेश्वरी का मत: मीडिया का नया दौर और हिंदी पत्रकारिता

राजकिशोर की तरह के एक स्वातन्त्र्य चेता और पत्रकारिता के जगत में अपने एक अलग ही छंद के रचयिता पत्रकार की स्मृति में इस व्याख्यानमाला के लिये आयोजकों को आंतरिक धन्यवाद । आइये, हम सबसे पहले इस बुनियादी सवाल से ही अपनी बात...

माहेश्वरी का मत: सत्ता विमर्श की एक प्रस्तावना है नंदकिशोर आचार्य का नाटक ‘बापू’

नटरंग पत्रिका के मार्च 2006 के अंक में प्रकाशित नंदकिशोर आचार्य जी के ‘बापू’ नाटक को पढ़ कर कोई यदि उस पर आरएसएस की सांप्रदायिक और कपटपूर्ण विचारधारा की लेश मात्र छाया भी देखता है तो वह सचमुच तरस खाने के योग्य...

हिटलर की किताब से चुराया एक पन्ना है नागरिकता का संघी प्रकल्प

सब जानते हैं, एनपीआर एनआरसी का मूल आधार है। खुद सरकार ने इसकी कई बार घोषणा की है। एनपीआर में तैयार की गई नागरिकों की सूची की ही आगे घर-घर जाकर जांच करके अधिकारी संदेहास्पद नागरिकों की शिनाख्त करेंगे।...

आर्थित बदहाली के सत्य से नजरें चुरा रहे हैं भारत के पूर्व प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यन

भारत के पूर्व प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यन के साथ एनडीटीवी के प्रणय राय की भारतीय अर्थ-व्यवस्था की वर्तमान स्थिति पर लंबी बातचीत कई मायनों में काफ़ी महत्वपूर्ण है। अरविंद ने हाल में इसी विषय पर तमाम उपलब्ध तथ्यों...

माहेश्वरी का मत: मोदी संविधान के प्रति अपनी वफादारी का परिचय दें, न कि भारत के लोग

आज दिल्ली में मोदी जी की चुनावी रैली पूरे देश में आग लगा कर एक आडंबरपूर्ण चुनावी रैली जलते हुए रोम में बंशी बजाने का ही एक बुरा उदाहरण था।  इस रैली में मोदी क्या बोल रहे हैं, इस बात...

उद्योग जगत और सरकार के बीच टूट चुका है विश्वास का रिश्ता

आज के टेलिग्राफ़ में उद्योगपतियों की मनोदशा के बारे में सुर्ख़ी की खबर है । “Why business is talking ‘wine’, not Dhanda”। (क्यों उद्योगपति ‘शराब’ की बात करते हैं, धंधे की नहीं) पूरी रिपोर्ट उद्योगपतियों की आपसी बातचीत और उनके बयानों के...

बर्बरता न्यायपूर्ण समाज का निर्माण नहीं कर सकती

हैदराबाद में बलात्कारियों के एनकाउंटर की पूरे देश में भारी प्रतिक्रिया हुई है। अभी हमारा समाज जिस प्रकार की राजनीति के जकड़बंदी में फंसा हुआ है, उसमें लगता है, जैसे आदमी आदिमता के हर स्वरूप को पूजने लगा है।...

खूनी खेल के जंगली तमाशबीन!

सऊदी अरब में आज की दुनिया की सबसे बर्बर राजशाही चल रही है। इसकी एक पहचान है रियाद शहर का डीरा स्क्वायर। इसे कटाई स्क्वायर (chop chop square) भी कहा जाता है। यहां हर हफ़्ते नियत दिन अपराधियों के...

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ग्राउंड रिपोर्ट: किसानों की जरूरत और पराली संकट का समाधान

मुजफ्फरपुर। “हम लोग बहुत मजबूर हैं, समयानुसार खेतों की जुताई-बुआई करनी पड़ती है। खेतों में सिंचाई तो स्वयं कर...