Thursday, April 18, 2024

जब तिहाड़ जेल में भ्रष्टाचार का यह आलम है तो बाकी जेलों में क्या होगा मी लार्ड!

क्या आप जानते हैं जेलों में पैसे के बल पर सभी सुख सुविधा उपलब्ध रहती है। जेल चाहे दिल्ली की तिहाड़ जेल हो या देश के किसी भी प्रदेश की पैसा फेंक ऐश कर की संस्कृति है। जितना बड़ा अपराधी या सफेदपोश उसकी हैसियत के अनुसार जेल अधिकारियों द्वारा पैसे की वसूली, फिर मोबाइल हो, घर के खाने, दवाइयों की निर्बाध आपूर्ति, वार्ड में कूलर, पान मसाले और दो सेवादार कैदियों जैसी सुविधाओं के साथ सुरा और सुन्दरी का भी इंतजाम रहता है। जेल में वसूली का पैसा नीचे से ऊपर तक जाता है। मासिक आय अमूमन किसी जेल की एक करोड़ रुपये तो किसी की 10 करोड़ है, कुछ जेलों की लाख में भी कमाई है।

जब उच्चतम न्यायालय को पता चला कि यूनिटेक के पूर्व प्रमोटर संजय चंद्रा और अजय चंद्रा तिहाड़ जेल से गैर कानूनी गतिविधियां चला रहे हैं, गवाहों को प्रभावित कर रहे हैं और इसमें तिहाड़ जेल के आला अधिकारी शामिल हैं तो वह हतप्रभ रह गया। सख्त नाराज़गी दिखाते हुए उच्चतम न्यायालय ने संजय चंद्रा और अजय चंद्रा को तुरंत तिहाड़ जेल से मुंबई की ऑर्थर रॉड जेल और तलोजा सेंटर जेल में ट्रांसफर करने का निर्देश दिया।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा कि कानून से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे। इस मामले में तिहाड़ जेल अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए दिल्ली पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया गया है। पीठ ने तिहाड़ जेल अधिकारियों को यूनिटेक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चंद्र बंधुओं की मिलीभगत से जेल मैनुअल की धज्जियां उड़ाने, कार्यवाही को बाधित करने, जांच को पटरी से उतारने आदि के लिए अवैध गतिविधियों में लिप्त होने के लिए फटकार लगाई।

(नोट- मीलॉर्ड.देश भर की जेलें और पुलिस प्रणाली पूरी तरह सड़ चुकी है और आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। जब देश की राजधानी दिल्ली के हाईप्रोफाइल तिहाड़ जेल की यह हालत है तो बाकि अन्य प्रदेशों की जेल का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है)  

पीठ ने सवाल किया कि क्या तिहाड़ जेल क्या अपराध को अंजाम देने के लिए एक अड्डा बन गया है? पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब उसे बताया गया कि जेल से किस-किस तरह के गोरखधंधे हो रहे हैं। किस तरह जेल के अंदर बंद अपराधी जेल के बाहर भी गतिविधियाँ निर्बाध रूप से संचालित करते रहते हैं।

एएसजी माधवी दीवान पीठ को यह बताया गया कि चंद्रा बंधु जेल से कैसे काम कर रहे हैं। ईडी ने दक्षिण दिल्ली में उनका एक गुप्त भूमिगत कार्यालय ढूंढा है, गुप्त कार्यालय से सैकड़ों मूल संपत्ति बिक्री दस्तावेज, डिजिटल हस्ताक्षर और संवेदनशील जानकारी वाले कंप्यूटर जब्त किए गए हैं। पीठ को यह भी बताया गया कि कैसे दोनों ने तिहाड़ जेल परिसर के बाहर कर्मचारियों को बाहरी दुनिया के साथ संपर्क और संवाद करने व संपत्तियों के निपटारे के लिए प्रतिनियुक्त किया है। यह भी आरोप लगाया गया कि एजेंसी द्वारा पूछताछ किए गए एक डमी निदेशक को दोनों ने जेल से भी प्रभावित करने की कोशिश की।

इस पर पीठ ने कहा, ‘तिहाड़ जेल अधिकारियों ने उनके साथ पूरी तरह से मिलीभगत से काम किया है! जेल ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों को अंजाम देने और उच्चतम न्यायलय के आदेश को विफल करने के लिए क़रीब-क़रीब एक आश्रय स्थल बन गयी है! हमने तिहाड़ जेल अधिकारियों से विश्वास खो दिया है! वे राजधानी के शहर के अंदर बैठे हैं और उच्चतम न्यायालय के आदेशों की पालना करा रहे हैं और ये सब उनकी नाक के नीचे हो रहा है। तिहाड़ जेल के अधीक्षक के लिए हम बस इतना कहना चाहते हैं कि बिल्कुल बेशर्मी है!

पीठ ने कहा कि संजय चंद्रा और अजय चंद्रा को जेल में कोई भी अतरिक्त सुविधा नहीं मिलेगी। दरअसल ईडी ने 5 अप्रैल 16 अगस्त 2021 को दो स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की थी। 16 अगस्त 2021 की स्टेटस रिपोर्ट में कहा था कि जेल परिसर में गैर कानूनी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया गया।गवाहों को प्रभावित करने के लिए तिहाड़ परिसर का इस्तेमाल किया गया। इसमें तिहाड़ जेल के लोग भी शामिल हैं।

पीठ ने कहा कि दोनों भाइयों को तत्काल ट्रांसफर किया जाए। दोनों को अलग-अलग रखा जाएगा। पीठ ने तिहाड़ जेल अधिकारियों को यूनिटेक के निदेशक संजय चंद्रा और अजय चंद्रा के साथ मिलकर जेल मैनुअल का उल्लंघन करने, कार्यवाही को बाधित करने, जांच को पटरी से उतारने के लिए अवैध गतिविधियों में लिप्त होने के लिए भी फटकार लगाई। पीठ ने जेलकर्मियों के खिलाफ कुछ आरोप लगाते हुए ईडी डायरेक्टर के पत्र के दस दिन बाद भी कोई कार्रवाई ना करने पर दिल्ली पुलिस से नाराजगी जाहिर की। पीठ ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को जेल की भूमिका की जांच के आदेश दिए।

ईडी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यूनीटेक प्रमोटर्स के दफ्तर में हमें तहखाना यानी गुप्त भूमिगत चेम्बर मिला, जो उन्होंने खास तौर पर बना रखा था। प्रमोटर्स की ओर से सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि ग्रीनपार्क वाले ऑफिस की जानकारी हमने ही ईडी को दी थी। अब चंद्रा बंधु डिफॉल्ट जमानत के हकदार हैं। ईडी तो बेवजह की एकतरफा दलीलें दे रही हैं, लेकिन कोर्ट से हमारा आग्रह है कि इनकी दलीलों से कोर्ट प्रभावित न हो। ईडी को तो हमारे खिलाफ कार्रवाई करने के सारे अख्तियार हैं। उन्हें तो कार्रवाई के लिए कोर्ट के आदेश मिलने तक की सब्र नहीं है।

इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आपको जेल में जैसी सुविधाएं मिली हुई हैं वो अन्य किसी को सुलभ नहीं हैं। पीठ ने पुलिस आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से इसकी जांच करने और 4 सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि इस अदालत के 9 मई, 2019 के आदेश में, फोरेंसिक ऑडिटर द्वारा दायर की गई स्थिति रिपोर्ट का एक स्पष्ट संदर्भ है, जिससे यह सामने आया कि सभी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड, जो यूनिटेक के मुख्य वित्तीय अधिकारी के कब्जे में थे, उनका एक्सेस फोरेंसिक ऑडिटर को नहीं दिया गया, नतीजतन, इस अदालत के आदेश में सहयोग की कमी नज़र आई।

इस पृष्ठभूमि में अदालत ने विशेष रूप से उन सुविधाओं का उल्लेख किया जो आरोपी संजय चंद्रा और यूनिटेक लिमिटेड के पूर्व निदेशक अजय चंद्रा को उपलब्ध कराई गई, जो तिहाड़ जेल में बंद हैं। अदालत ने निर्देश दिया कि जेल मैनुअल के संदर्भ में सामान्य प्रक्रिया में उपलब्ध सुविधा के अलावा वे किसी भी अतिरिक्त सुविधाओं के हकदार नहीं होंगे।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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