Sunday, April 2, 2023

चाल-खाल के जरिये पर्यावरण संरक्षण की कोशिश

हिमांशु जोशी
Follow us:

ज़रूर पढ़े

जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर बीते दो हफ़्तों स्कॉटलैंड के ग्लासगो में चला अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन COP26 अब ख़त्म हो गया है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सम्मेलन में पहुंच कर भारत की तरफ़ से इस चुनौती से निपटने के लिए पांच अमृत तत्व रखे।

भारत के लिए हिमालय

जमीनी स्तर पर बात की जाए तो हिमालयी क्षेत्र पूरे देश के पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है। हिमालयी नदियां तो करोड़ों भारतीयों की जीवनरेखा हैं पर पहाड़ों में लगती आग पिछले कुछ सालों से हिमालय को लील रही है।

हिमालय के जंगलों में लग रही आग से उत्तर भारत का तापमान 0.2 डिग्री सेल्सियस तो बढ़ा ही है साथ ही उससे निकल रहे स्मॉग से ग्लेशियरों के पिघलने का खतरा भी बना हुआ है। 

वहीं अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन COP26 का मुख्य मुद्दा भी वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का है।

चाल-खाल

ऐसे समय में उत्तराखंड में विश्वविख्यात पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा का सानिध्य पाए अनिरुद्ध जडेजा, पीएसआई देहरादून और जीवन मांगल्य ट्रस्ट उत्तराखंड के साथ उत्तराखंड के नैनीताल जिले में चाल-खाल बनाने में लगे हुए हैं। इसी के साथ वह और उनकी टीम जन भागीदारी से नौले-धारों का नवसृजन भी कर रही है।

उत्तराखंड में पारंपरिक रूप से पानी रोकने के लिए बनाए जाने वाले तालाबों को चाल व खाल कहते हैं, इनकी वजह से जमीन में नमी बनी रहती है और आग कम फैलती है।

जब पूरे विश्व में पर्यावरण को लेकर इतनी बात हो रही है तब अनिरुद्ध जडेजा जैसों का उदाहरण उस बात को सिर्फ़ चर्चाओं तक ही सीमित नहीं रखता बल्कि लोगों को पर्यावरण के प्रति सभी की कुछ जिम्मेदारियों की याद दिलाने का काम भी करता है।

वीडियो में अनिरुद्ध को ग्राउंड पर काम करते देखा और समझा जा सकता है।

(हिमांशु जोशी लेखक और समीक्षक हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest News

आईपी कॉलेज फॉर वीमेन: “जय श्री राम” के नारे के साथ हमला

28 मार्च को मंगलवार के दिन आईपी कॉलेज फॉर वीमेन (इंद्रप्रस्थ कॉलेज) में हुए वार्षिक फेस्टिवल श्रुति फेस्ट के...

सम्बंधित ख़बरें