पुस्तक समीक्षा: बाबा पोते के बालमन की गुनगुनाहट है ‘वासुनामा’ 

साहित्य कला और संस्कृति के क्षेत्र में बहुमुखी प्रतिभा के बहुत से लोग हुए और उनके काम को यश भी…

साहित्य समाज और जनतंत्र

साहित्य, समाज और जनतंत्र के संबंधों के विभिन्न स्तर और आयाम का अवधाराणात्मक अध्ययन और मानव संबंध के विभिन्न परिप्रेक्ष्य…

 साहित्यिक कल्पना में भारत छोड़ो आंदोलन

किसी समाज एवं सभ्यता की बड़ी घटना का प्रभाव साहित्य और अन्य कलाओं पर पड़ता है। उपनिवेशवादी वर्चस्व के खिलाफ हुआ 1857 का विद्रोह, जिसे…

हंसा जाई अकेला

बुद्धदेव भट्टाचार्य नहीं रहे।बंगाल में वामपंथी राजनीति की किंवदंतियों की छीजती हुई श्रृंखला की जैसे एक अंतिम कड़ी नहीं रही।वामपंथी…

‘कफन’ की सफलता-असफलता और कहानी के पाठ की समस्या

‘जनचौक’ पर प्रेमचंद की बहुचर्चित और बहुविवादित कहानी ‘कफन’ पर डा. सिद्धार्थ की समीक्षा को पढ़ा। वह इस कहानी को…

‘कफन’ में प्रेमचंद पूरी तरह गच्चा खा गए थे 

सृजनात्मक साहित्य के महान से महान लेखक सफल और असफल होते रहे हैं। दुनिया के महान उपन्यासकारों और कहानीकारों की…

साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ जंग का एक मैदान है साहित्य

साम्राज्यवाद और विस्थापन पर भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में विनीत तिवारी ने साम्राज्यवाद के संकट और इसके पूंजीवाद में बदलाव…

जन्मदिवस पर विशेष: आधुनिक हिंदी के जनक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने साहित्य को ‘जन’ से जोड़ा

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (9 सितंबर 1850-6 जनवरी 1885) आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। इनका मूल नाम ‘हरिश्चन्द्र’ था।…

पुस्तक समीक्षा: अपने समय के सच को उजागर करती मारक विमर्श की कविताएं

पुस्तक समीक्षा:  कवि पंकज चौधरी समाज की वर्तमान अवस्था पर पैनी नज़र रखने वाले विलक्षण कवि हैं। इनकी कविता के…

पुन्नी सिंह का साहित्य प्रेमचंद की परंपरा को आगे बढ़ाता है- वीरेन्द्र यादव

शिकोहाबाद। उत्तर प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ की शिकोहाबाद इकाई ने वरिष्ठ कथाकार पुन्नी सिंह के नये उपन्यास ‘साज कलाई का,…