संविधान पर बहस; बोले तो बहुत मगर बताने के लिए कम छुपाने के लिए ज्यादा बोले  

संविधान पर हुई बहस में प्रधानमंत्री मोदी लगभग दो घंटा बोले मगर ठीक वही बात नहीं बोले जो बोलनी थी।…

संभल मस्जिद, अजमेर दरगाह-आखिर हम कितने पीछे जाएंगे

सन 1980 के दशक में देश में शांति-व्यवस्था और प्रगति पर गम्भीर हमले हुए। साम्प्रदायिक ताकतों के हाथ एक नया…

संसदीय लोकतंत्र में संसद का स्थगन लोकतंत्र का ही स्थगन है

विधानसभाओं के चुनाव के परिणाम आ चुके हैं। सत्ताधारी दल को महाराष्ट्र में ‘भारी सफलता’ मिली है। लेकिन, ऐसा लगता…

जो दरवाजा खुला, वो अब बंद हो गया है!

साल 2024 के मध्य में आए लोकसभा चुनाव के नतीजों से संकेत मिला कि नरेंद्र मोदी का आकर्षण और मजहबी…

कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना साधते; सीकरी के असाधु और असंत

कुनबे की हड़बड़ी कुछ ज्यादा ही बढ़ी दिख रही है; उन्मादी ध्रुवीकरण को तेज से तेजतर और उसके तरीकों को…

चुनाव के पहले भी और चुनाव के बाद भी मानव हित

यह सच है कि दलित-पिछड़ा समाज के सदस्यों के प्रति सवर्ण रवैया बहुत ही नकारात्मक रहा है। लेकिन क्या सवर्णों…

लोकतंत्र का चीरहरण करने में खुद नंगी हो जा रही भाजपा

कहते हैं कि राजनीति और युद्ध में सब कुछ जायज होता है। लेकिन इतना भी जायज नहीं, जितना नाजायज भारतीय…

भारत और चीन ने मुट्ठियां खोलीं, मिलाया हाथ

भारत-चीन के बीच लद्दाख सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव घटाने के लिए हुआ ताजा समझौता अचानक और…

हिंदू खतरे में है, बोलते-बोलते हिंदुस्तान को ही खतरे में डाल दिया गया है

एक अनिवासी भारतीय पत्रकार ने अपनी टिप्पणी में कहा है, “एक ब्वॉयफ्रैंड के तौर पर अमेरिका का व्यवहार बेहद शानदार…

अनैतिक और आधी अधूरी दुनिया का हास्यास्पद हश्र

हिंसक, अनैतिक और आधी अधूरी दुनिया में इसी तरह का शर्मनाक और हास्यास्पद नाटक चलेगा जैसा कि इस वक्त भारत,…