दिल्ली प्रवास कर रहे लालू प्रसाद दो दिन पहले मुलायम सिंह यादव से मिलने क्या गए कि ट्रॉल करने वालों की मौज आ गई। लालू प्रसाद का दोष इतना था कि उन्होंने कह दिया कि देश पूंजीवाद और सांप्रदायिकता...
इतिहास को लेकर, वतर्मान में हो रहे बदलाव इतिहासकारों के नजरिए को किस तरह बदल देते हैं यह जानना आवश्यक है। भारत के इतिहास के बारे में जब यह विचार पैदा हुआ कि भारत का जन इतिहास लिखा जाना...
शैलेन्द्र शैली स्मृति व्याख्यान 2021 में बोलते हुए अखिल भारतीय जनवादी की केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य सुश्री संध्या शैली ने अनेक संवैधानिक प्रावधानों और संरक्षणों के बावजूद महिलाओं और दलितों पर बढ़ते अत्याचारों की वजहें गिनाई।
मध्यप्रदेश में दलितों और महिलाओं...
चीन की कम्युनिस्ट (सीपीसी) पार्टी ने बीते एक जुलाई को जब अपनी सौवीं सालगिरह मनाई, तो दुनिया में ये सवाल एक बार फिर उभरा कि जब समाजवाद के अपने सात दशकों के प्रयोग के बाद अगर सीपीसी प्रासंगिक बनी...
अर्थव्यवस्था के सभी अनुमान ढलान की ओर हैं। वर्तमान सत्ता-पार्टी अफवाहों की विशेषज्ञ है। व्यवस्था संभालना इनको नहीं आता। पशुपालन, खेती, उद्योग, चिकित्सा तथा भूख की समस्या से अनभिज्ञ है। यही कारण है कि जीडीपी गिर रही है। जिस जीएसटी को ये...
सदियों दासता, सामंतवाद से संघर्ष करने के बाद दुनिया में मज़दूरों ने 1 मई 1886 को अपने अस्तित्व का परचम फ़हराया। महज 105 साल में ही पूंजीवाद ने अपने पसीने की महक से विश्व का निर्माण करने वाले मेहनतकश...
जितने लोग दूसरे विश्वयुद्ध में मारे गये थे, उससे कहीं ज़्यादा लोग ‘तीसरे विश्वयुद्ध’ में मारे गये। यह तीसरा विश्वयुद्ध नज़र नहीं आया, लेकिन यह चार दशकों तक चलता रहा। पूंजीवाद की यही सबसे बड़ी ख़ासियत है कि वह...
(अरुंधति रॉय के कई परिचय हैं। वे बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखिका हैं; एक निबंधकार हैं, जिनकी नवीनतम रचना ‘आजादी’ पिछले साल ही प्रकाशित हुई है; और वे एक राजनीतिक कार्यकर्ता भी हैं।
भारत में रहने वाली वह ऐसी लेखिका...
राफेल विमान सौदे में भ्रष्टाचार की पर्तें एक बार फिर से खुलने लगी हैं। राफेल सौदे में 20 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप है और पूरा सौदा अनियमिताओं से भरा है।राफेल सौदे में भ्रष्टाचार पर अपनी खोजी रिपोर्ट...
मार्क्सवाद समाज को समझने का विज्ञान और उसे बदलने का आह्वान है। समाज के हर पहलू पर इसकी सत्यापित स्पष्ट राय है, धर्म पर भी। ‘हेगेल के अधिकार के दर्शन की समीक्षा में एक योगदान’ में मार्क्स ने लिखा...