Monday, May 29, 2023

विजय शंकर सिंह

कोरोनोत्तरकाल: क्या हम नए वर्ल्ड आर्डर के लिये तैयार हैं?

सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्तों तथा अन्य भत्तों पर जो कटौती केंद्र सरकार द्वारा की गयी है उसका कारण कोरोना जन्य आर्थिक संकट बताया जा रहा है। यह सच है कि, इस आर्थिक संकट का तात्कालिक कारण कोविड 19...

पत्रकारिता नहीं, ट्रोलों की जमात के अगुआ हैं अर्णब

अर्णब की चीखती और शोर मचाने वाली पत्रकारिता की आड़ में सरकार द्वारा जो कुछ भी किया जा रहा है उसे देखिए, पढ़िये और समझिए । अर्णब ने जो कुछ भी कहा या किया है, उस पर लोगों ने...

पालघर भीड़ हिंसा, मॉब लिंचिंग के आंकड़े, सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश और उनका अनुपालन

पालघर पर टीवी चैनलों के चीखते हुये एंकरों के शोर के बीच यह संजीदा सवाल गुम है कि आखिर 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गए भीड़ हिंसा या मॉब लिंचिंग के गाइडलाइंस के बावजूद आज तक केवल मणिपुर...

भारतीय उद्योगों के लिए तबाही साबित हो रही है कोरोना आपदा

देश मे पहला कोरोना का मामला 30 जनवरी को सामने आया जो केरल से था। केरल से प्रवासी आबादी बहुत अधिक संख्या में विदेशों में रहती है और यह रोग वहीं से आया है। लेकिन 30 जनवरी के पहले...

राजनीति में आवश्यक है नेताओं का निरंतर जन संवाद

राहुल गांधी सहित सभी राष्ट्रीय दलों के नेताओं को इस प्रकार की नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी चाहिये। ज़ूम तो सरकार कह रही है कि आज से असुरक्षित हो गया। उसमें कोई असुरक्षित करने वाला वायरस आ गया है। अभी...

प्रशासनिक अक्षमता से भरा हुआ है सप्तपदी ब्रांड लॉक डाउन

मुंबई मे हज़ारों मज़दूर लॉक डाउन तोड़ कर सड़कों पर आ गए हैं और सारी सोशल डिस्टेंसिंग और फिजिकल डिस्टेंसिंग, की बातें धरी की धरी रह गयीं। इक्कीस दिनी लॉक डाउन के बाद यह प्रवासी कामगारों का तीसरा बड़ा...

कोरोना आपदा के बाद की आर्थिक चुनौतियां

14 अप्रैल, देशव्यापी लॉक डाउन के इक्कीस दिनों की बंदी का अंतिम दिन होता अगर यह लॉक डाउन 30 अप्रैल तक नहीं बढ़ा दिया गया होता तो। लेकिन सरकार ने इस लॉक डाउन की अवधि को 30 अप्रैल तक...

ज़रूरत फिजिकल डिस्टेंसिंग की है न कि सोशल डिस्टेंसिंग की

सोशल डिस्टेंसिंग एक विभाजन कारी शब्द है जिससे बचा जाना चाहिए। यह समाज को ही एक दूसरे से अलग-अलग तरह से रहने के लिये प्रेरित और उसे औचित्यपूर्ण साबित करने लगता है। हमारा समाज एक लंबे समय तक छूआछूत...

क्या हम सब फासिज़्म के गोएबल काल में हैं ?

झूठ का एक मनोविज्ञान यह भी होता है वह उसे फैलाने वालों को भी मानसिक रूप से विकृत कर देता है। 2012 से ही झूठबोलवा गिरोह का विकास शुरू हुआ और ऑडियो वीडियो टेक्स्ट आदि भेजने की एक बेहद...

राहुल सांकृत्यायन के भोजपुरी नाटक ‘मेहरारुन के दुरदसा’ के संदर्भ में स्त्री विमर्श

राहुल सांकृत्यायन एक, अत्यंत प्रतिभाशाली व्यक्तित्व थे। उन्होंने, भरपूर यात्रायें की। चार खंडों में उनकी आत्मकथा मेरी जीवन यात्रा बेहद रोचक और ज्ञानवर्धक संकलन है। विशेषकर उनकी तिब्बत से जुड़ी यात्राएं। उनकी आत्मकथा पढ़ना एक बेहद रोचक अनुभव है।...

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