Monday, September 25, 2023

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शहीदे आजम भगत सिंह: क्रांति की अनवरत जलती मशाल

हवा में रहेगी मेरे ख्यालों की बिजली ये मुश्ते ए खाक है फानी रहे रहे न रहे भगत सिंह एक ऐसा नाम जो खून में उतर जाता है रोमांच से भर देता है नसें फड़क उठती हैं आदर्श जग उठते हैं छोटे पन से घृणा होने...

कोरोना वायरस: सत्ता और अवाम

"आज सुबह जब मैंने रेड लाइट पर गाड़ी रोकी तो एक महिला जिसकी गोद में बच्चा था मेरी गाड़ी के शीशे को थपथपा रही थी। ये सीन रोजाना होता है ये लोग भीख मांग कर अपना गुजारा करते हैं।...

अथातो चित्त जिज्ञासा: जॉक लकान के मनोविश्लेषण के सिद्धांतों पर केंद्रित एक विमर्श की प्रस्तावना

अभी की एक गहरी चिंता और अवसाद से भरी विमर्श के गतिरोध की चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिस्थितियों में नितांत तात्कालिक प्रसंगों को थोड़ा किनारे रखते हुए हम यहां एक किंचित भिन्न प्रकार के तात्विक क्षेत्र में प्रवेश का प्रस्ताव करना...

देश को पूंजीवाद के पंजे से छुड़ाने के लिए भगत सिंह जैसे विचार की जरूरत

आज जो देश के हालात हैं। ऐसे में शहीद-ए-आजम भगत सिंह का याद आना लाजिमी है। जिस तरह से राजनीति का व्यवसायीकरण हुआ है। धंधेबाजों के हाथ में देश की बागडोर है। सियासत का मतलब बस एशोआराम, रुतबा और कारोबार रह गया...

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पूरा आसमान अपना, मगर दो गज जमीन नहीं

मुजफ्फरपुर। गोपालपुर तरौरा गांव के 45 वर्षीय शिवनंदन पंडित के परिवार में चार से छह लोग रहते हैं। एस्बेस्टस...