Friday, April 26, 2024

capitalism

इलेक्टोरल बांड का रिटर्न गिफ्ट है निजीकरण

देश की अर्थव्यवस्था में हो रही गिरावट को समझने के लिए अर्थ सूचकांकों के अध्ययन करने की बहुत आवश्यकता नहीं है। बाजार और इंडस्ट्रियल एरिया का एक भ्रमण ही यह संकेत देने के लिए पर्याप्त है कि आर्थिक मोर्चे...

तानाशाही पूंजीवादी लोकतंत्र की तार्किक परिणति है!

23 अप्रैल 2020 के ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में छपे अपने लेख ‘Lenin is not a figure to look up to…’ में प्रो. अपूर्वानन्द एक तीर से दो शिकार करते नजर आते हैं। वर्तमान भारतीय शासन तन्त्र की तानाशाही प्रवृत्तियों के ...

घर लौटते मजदूरों की पदचापों में हैं पूंजीवाद विरोधी सुर

आज से बीस वर्ष पहले 31 दिसंबर 2000 व 1 जनवरी 2001 को  देश के किसान एवं मजदूर नेताओं, सोशलिस्ट नेताओं तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का दो दिवसीय जमावड़ा देवरिया जिले के ग्रामीण इलाके बरियारपुर चौराहे पर हुआ था...

पूंजीवाद के इंजन को हमेशा के लिए बंद करना ही हमारा काम: अरुंधति रॉय

कोरोनावायरस की महामारी ने पूंजीवाद के इंजन को रोक दिया है। परन्तु यह एक अस्थाई स्थिति है। आज जब पूरी मनुष्य जाति कुछ समय के लिए अपने घरों में कैद है तब धरती ने खुद ही अपने ज़ख्म भरने...

अंडरस्टैंडिंग मार्क्स भाग-3: किसान को वर्किंग क्लास समझा जाए या बिजनेसमैन?

(अमेरिकी अर्थशास्त्री रिचर्ड डी वुल्फ के यूट्यूब पर उपलब्ध वीडियो से तीसरी किस्त। अपनी किताब `अंडरस्टैंडिंग मार्क्स` के संदर्भ में अपलोड किए गए इस वीडियो के जरिये वुल्फ ने मार्क्सवाद को आसान ढंग से समझाने की कोशिश की है। इसे हिन्दी...

कोरोनोत्तरकाल: क्या हम नए वर्ल्ड आर्डर के लिये तैयार हैं?

सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्तों तथा अन्य भत्तों पर जो कटौती केंद्र सरकार द्वारा की गयी है उसका कारण कोरोना जन्य आर्थिक संकट बताया जा रहा है। यह सच है कि, इस आर्थिक संकट का तात्कालिक कारण कोविड 19...

साम्यवाद ही क्यों? : राहुल सांकृत्यायन

आज दुनिया एक वैश्विक महामारी का सामना कर रही है। पूरी दुनिया के सभी संसाधनों पर क़ब्जा करने के लिए लार टपका रही और अपने लोभ के कारण प्रकृति को नोच-खसोट कर पूरे भूमंडल को युद्ध और जनसंहार के...

कोरोना महामारी : अमीर इंडिया बनाम गरीब भारत

भारत में बीसवीं सदी का अंतिम दशक ख़त्म होते-होते समस्त मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों, मंचों और माध्यमों से गरीबी की चर्चा समाप्त हो गई। देश की शासक जमात के बीच यह तय माना गया कि अब देश में गरीबी...

यह वैश्विक महामारी एक नई दुनिया का प्रवेश द्वार है: अरुंधति रॉय

अंग्रेजी में “वायरल होना" (किसी वीडियो, संदेश आदि का फैलना) शब्द को सुनते ही अब किसको थोड़ी सिहरन नहीं होगी? दरवाजे के हैंडल, गत्ते का डिब्बा या सब्जी का थैला देखते ही किसकी कल्पना में उन अदृश्य छींटों के...

पूंजीवादी महामारी को समाजवाद की खुराक

कोरोना संकट ने पूरे विश्व में सिर्फ और सिर्फ लाभ अर्जन की प्राथमिकता वाले पूंजीवादी ढांचे को बुरी तरीके से हिला दिया है। इसमें कोई शक-शुबहा नहीं रह गया है। इस विश्वव्यापी अभूतपूर्व संकट के सामने पूंजीवादी देश पूरी...

Latest News

गैर-बराबरी के मुद्दे पर गुमराह करने में जुटे मोदी

इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धन के पुनर्वितरण की सोच को निशाने पर लिया है। वे तथ्यों का...