ताबड़तोड़ पारित हो रहे विधेयकों से परेशान विपक्ष ने शुरू की सरकार की घेरेबंदी,7 बिलों को पैनल के पास भेजने पर अड़ा

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नई दिल्ली। संख्याबल के लिहाज से लोकसभा में मात खाए विपक्ष ने राज्यसभा में सत्ता पक्ष को घेरने की तैयारी शुरू कर दी है। इस लिहाज से कल यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी और राज्यसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता गुलाम नबी आजाद ने दो अलग-अलग बैठकें की। जिसमें यह फैसला लिया गया कि लोकसभा में पारित होने वाले कम से कम सात बिलों को पुनर्विचार के लिए पैनल के पास भेजा जाएगा।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सोनिया गांधी के साथ हुई विपक्षी दलों की बैठक में सपा और टीएमसी का कोई नेता मौजूद नहीं था। हालांकि बाद में आजाद के साथ बैठक में इनके भी प्रतिनिधि शामिल हुए।

जिस तरह से सरकार धड़ाधड़ विधेयकों को पारित करा रही है उससे विपक्षी दलों के कान खड़े हो गए हैं। इस बीच और विधेयकों को पारित कराने के लिहाज से गृहमंत्री अमित शाह ने सत्र को और 10 दिन बढ़ाने की बात कही है। इसमें सबसे अहम बिल आरटीआई का बताया जा रहा है। जिस पर सोनिया गांधी ने स्टैंड ले लिया है। इस सिलसिले में उन्होंने एक खुला पत्र भी लिखा था। टीएमसी के डेरेक ओ ब्रेयन ने जिन छह दूसरे बिलों को चिन्हित किया है उनमें मुस्लिम महिला विधेयक जिसे लोकप्रिय तौर पर तीन तलाक विधेयक के नाम से जाना जाता है; दि कोड वेज बिल, 2019; स्वास्थ्य और काम की स्थितियों संबंधी विधेयक; अंतर्राज्यीय जल विवाद विधेयक; रेगुलेशन विधेयक, 2019; यूएपीए विधेयक, 2019 शामिल हैं।

डेरेक ओ ब्रेयन।

टीएमसी नेता ने कहा कि “विपक्षी दल के तौर पर हम लोगों ने अनौपचारिक तरीके से इस तरह के सात बिल चिन्हित किए हैं। सभी नहीं केवल 7 विधेयक जिनकी न तो सेलेक्ट कमेटी और न ही स्टैंडिंग कमेटी द्वारा कोई जांच हुई है। इन विधेयकों में और सुधार लाने और उन पर बातचीत करने और 1993 की शानदार परंपरा को बनाए रखने के लिए सहयोग की भावना के साथ हम लोगों ने इसको सरकार को बताया है। हालांकि हम लोग इस पर प्रस्ताव लाने जा रहे हैं लेकिन हम और ज्यादा खुश होंगे अगर सरकार खुद इस पर प्रस्ताव लाए और उस पर कमेटी गठित करे।”

सीपीआई के डी राजा ने बताया कि “सोनिया गांधी द्वारा बुलायी गयी बैठक सदन में कैसे बेहतर तालमेल हो इसके लिए बुलायी गयी थी। हमारा मानना है दोनों सदनों में विपक्षी दलों के बीच सहयोगी रवैया होना चाहिए। बहुत सारे विधेयक बहुत महत्व वाले हैं। अभी तक स्टैंडिंग कमेटियों की घोषणा नहीं हुई। लोकसभा विधेयकों को पास कर रही है। राज्यसभा में हम जरूर पूछ सकते हैं कि कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों को सेलेक्ट कमेटी के पास भेज दिया जाए।”

गृहमंत्री अमित शाह।

इसके पहले डेरेक ओ ब्रेयन ने कहा था कि यह पहला सत्र है जिसमें अभी तक किसी भी विधेयक को स्टैंडिंग कमेटी या फिर सेलेक्ट कमेटी के पास नहीं भेजा गया है। साथ ही विपक्ष ने बच्चों के हितों को ध्यान में रखते हुए पाक्सो विधेयक को पारित करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अगर आरटीआई विधेयक इसी तरह से पारित हो जाता है तो इसका मतलब है कि राज्यसभा संघीय व्यवस्था को लागू करने की अपनी जिम्मेदारियों पर खरी नहीं उतर रही है। इसी के तुरंत बाद संसदीय कार्यराज्य मंत्री वी मुरलीधर उठे और उन्होंने कहा कि आरटीआई विधेयक को बृहस्पतिवार को नहीं पेश किया जाएगा।    

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