महाराष्ट्र: भाजपा हिंदू तो ओवैसी मुस्लिम कार्ड खेलकर अपनी राजनीतिक जमीन बचाने में जुटे

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मई 2022 में अकबरुद्दीन ओवैसी की औरंगाबाद में औरंगजेब की खुल्दाबाद पर स्थित मजार की यात्रा पर भाजपा और शिवसेना ने कड़ी आपत्ति की थी। तब महाविकास अघाड़ी की सरकार महाराष्ट्र में थी, और विपक्ष के नेता देवेन्द्र फडनवीस ने महाराष्ट्र सरकार को आड़े हाथों लिया था। महाराष्ट्र में औरंगजेब का जिक्र छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ कई दशकों तक चले संघर्ष और युद्ध के कारण होता है। जिसमें शिवाजी के पुत्र संभाजी राजे को दी गई यातना महाराष्ट्र और विशेषकर मराठा समुदाय के लिए एक विशेष स्थान रखती है। देवेन्द्र फडनवीस ने एमवीए सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि वह इस विषय पर कोई एक्शन नहीं ले रही, लेकिन हम इस मुद्दे को उठाते रहेंगे।

शिवसेना की ओर से भी इस पर कड़ी प्रतिकिया स्वरूप संजय राउत ने कहा था कि 17 वीं शताब्दी के बादशाह औरंगजेब की जो गति हुई थी, ओवैसी की भी वही होगी। उन्होंने अपने बयान में आगे कहा था कि ओवैसी बंधु महाराष्ट्र की राजनीति को विषाक्त करने के मकसद से राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा था कि हमने औरंगजेब को इसी धरती में दफना दिया, और उनके जो अनुयायी हैं उनकी भी यही गति होगी।

कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत की टिप्पणी काबिलेगौर है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा राजनीतिक लाभ के लिए ओवैसी का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने आरोप लगाते हुए पूछा था कि पाकिस्तान में जिन्ना की मजार (भारत-पाक विभाजन के लिए जिम्मेदार) पर लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा पुष्पांजलि अर्पित किये जाने के खिलाफ भाजपा ने क्या कार्रवाई की है? महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को कई भाजपा नेताओं द्वारा महिमामंडित किया जाता है, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जाती?

ये बातें एक साल बाद जाननी इसलिए जरूरी हैं क्योंकि हाल के दिनों में जो कुछ हो रहा है, उसके तार यहां से जुड़ते हैं। पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र की राजनीति में अचानक से औरंगजेब की तस्वीर छाई हुई है। महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में कुछ युवाओं द्वारा सोशल मीडिया पर औरंगजेब की तस्वीर को साझा करने, अपनी प्रोफाइल पिक्चर के तौर पर लगाने को लेकर जगह-जगह हंगामा, प्रदर्शन, बंद का आह्वान, पत्थरबाजी और मारपीट हो रही है। महाराष्ट्र पुलिस द्वारा नाबालिग अल्पसंख्यक समुदाय के लड़कों को गिरफ्तार किया जा रहा है। दक्षिणपंथी समूहों के द्वारा पुलिस प्रशासन में शिकायत पर तत्काल कार्रवाई होना महाराष्ट्र को एक नए वातावरण में ले जा रहा है।

महाराष्ट्र में औरंगजेब की तस्वीर सोशल मीडिया में साझा करने पर कोल्हापुर, संभाजी नगर, अहमदनगर सहित विभिन्न स्थानों पर तनाव व्याप्त है। शुक्र है कि कहीं से भी तनाव बड़े पैमाने के सांप्रदायिक दंगे में तब्दील नहीं हुआ, लेकिन सांप्रदायिक विद्वेष की धीमी आंच पर महाराष्ट्र को पकाया जा रहा है, इससे कोई इंकार नहीं कर सकता। आमतौर पर महाराष्ट्र के इन जिलों में हिंदू-मुस्लिम की विभाजनकारी राजनीति ने सामाजिक दायरे को अपने आगोश में नहीं लिया था। लेकिन हाल के दिनों में इसमें अभूतपूर्व तेजी देखी जा रही है।

कर्नाटक चुनाव में करारी हार, शिवसेना (शिंदे) गुट की तेजी से घटती लोकप्रियता और प्रतिष्ठित मराठी अखबार सकाल के हालिया सर्वेक्षण ने राजनीतिक गलियारे में बड़े-बड़े दिग्गजों की नींद गायब कर दी है। सकाल अखबार का महराष्ट्र के शहरी ग्रामीण इलाके में गहरी पैठ है, और उसके सर्वेक्षण में भाजपा-शिवसेना (शिंदे) के हिस्से में 37.5% के आसपास समर्थन हासिल है, जबकि महाविकास अघाड़ी के हिस्से में करीब 45% जनसमर्थन दिखाया गया है। जाहिर सी बात है यह चिंता महाराष्ट्र ही नहीं दिल्ली के केंद्रीय नेतृत्व को भी बैचेन कर रही होगी।

इस कड़ी में ताजातरीन घटनाक्रम में नवी मुंबई में कार्यरत ट्राम्बे के एक मुस्लिम युवा को औरंगजेब की तस्वीर को अपनी प्रोफाइल पिक्चर के तौर पर इस्तेमाल करने पर वाशी पुलिस ने शनिवार को हिरासत में ले लिया था। वाशी के सेक्टर 17 में एक मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी के कार्यालय से इस 29 वर्षीय युवा को पुलिस द्वारा हिंदुत्ववादी समूह की शिकायत पर हिरासत में लिया गया था। पुलिस ने आईपीसी की धारा 153ए एवं 298 के तहत मामला दर्ज कर मामले की जांच में सहयोग करने का निर्देश देते हुए रविवार की दोपहर को उसे रिहा कर दिया।

अपनी शिकायत में हिंदुत्व समर्थक समूह का कहना था कि कोल्हापुर सहित विभिन्न जिलों में विवादास्पद पोस्टों की पृष्ठभूमि में जब इस व्यक्ति से तस्वीर डिलीट करने के लिए कहा, जिसकी अनदेखी करने पर पुलिस में शिकायत की गई है। वाशी पुलिस में दर्ज एफआईआर में शिकायत की गई है कि आरोपी ने जानबूझकर नवी मुंबई में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने के उद्येश्य से औरंगजेब की तस्वीर अपने व्हाट्सअप प्रोफाइल में लगा रखी थी। 

कोल्हापुर की सांप्रदायिक आंच अब समूचे महाराष्ट्र में घर कर गई है। इसका असर धुले जिले में टीपू सुल्तान के स्मारक पर भी पड़ा है। धुले शहर के एक व्यस्त चौराहे पर पिछले वर्ष एआईएमआईएम विधायक फारुख शाह ने टीपू सुल्तान का स्मारक स्थापित किया था। लेकिन हिंदुत्ववादी समूहों ने जब इसकी शिकायत मुख्यमंत्री एवं उप-मुख्यमंत्री के समक्ष की तो जिला प्रशासन हरकत में आ गया और प्रशासन ने शुक्रवार के दिन स्मारक हटा दिया।

धुले के एसपी संजय बारकुंड का इस बारे में कहना है कि इस स्मारक को नगर निगम एवं पीडब्ल्यूडी की इजाजत के बगैर विधायक द्वारा स्थापित कर दिया गया था। प्रशासन ने इस संबंध में संबंधित ठेकेदार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। इसके साथ ही इस मुद्दे पर स्थानीय विधायक के साथ जिला प्रशासन और पुलिस की बैठक भी की गई। विधायक द्वारा टीपू सुल्तान के स्मारक को हटाए जाने पर रजामंदी के बाद ठेकेदार को बुलाकर शुक्रवार को स्मारक हटा दिया गया।  

औरंगजेब की तस्वीर को लेकर विवाद की शुरुआत महाराष्ट्र के अहमदनगर में एआईएआईएम के एक जुलूस से हुई, जिसमें कुछ लोग औरंगजेब के पोस्टरों को लहराते हुए देखे गये थे। इससे संबंधित वीडियो में कुछ लोग पोस्टर के साथ नाचते-गाते देखे गये। उप-मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने तुरत-फुरत बयान जारी कर चेतावनी जारी की थी। कोल्हापुर की घटना के बाद तो फडनवीस के “औरंगजेब की औलाद” वाला जुमला सारा देश जान गया है।

सोमवार को एआईएमआईएम चीफ और सांसद असौद्दीन ओवैसी अमेरिका के शिकागो में “फ्रेंड्स ऑफ़ एआईएआईएम” सभा को संबोधित कर रहे हैं, लेकिन पीछे महाराष्ट्र में उन्होंने एक ऐसी तीली भाजपा को थमा दी है, जिसके सहारे हिन्दू-मुस्लिम विभाजन पर दोनों दलों को अपने-अपने हिस्से में भरपूर फसल काटी जा सकती है।

थोड़ा पीछे चलें तो इस वर्ष की शुरुआत में महाराष्ट्र में एक नई परिघटना देखने में आई है। सकल हिंदू समाज नाम के एक संगठन ने राज्य के करीब 30 जिलों में अपनी रैलियां निकाली हैं और एक विशेष समुदाय के खिलाफ दुष्प्रचार और हिंदू समाज में भय का माहौल बनाने का काम किया है। इन रैलियों में कालीचरण महाराज, जिसे छत्तीसगढ़ में नफरती भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, की सक्रियता बड़े पैमाने पर देखी गई है। महाराष्ट्र में लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने सहित हिंसा के लिए खुला आह्वान करने वाले कालीचरण के भाषणों को सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) ने विस्तृत लेखा-जोखा पेशकर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के समक्ष रिपोर्ट पेश की है।

महाराष्ट्र में पिछले वर्ष के आखिरी महीनों से सकल हिंदू समाज की जो रैलियां शुरू हुई थीं, वह सिलसिला अप्रैल तक चला, जिसके तहत पूरे महाराष्ट्र में 50 से अधिक रैलियां निकाली गई थीं।

आज भाजपा नेता देवेन्द्र फडनवीस के लिए लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने के लिए बेहतरीन माहौल बन गया है। भाजपा नेता लगातार इस मुद्दे को तूल देते हुए साबित कर रहे हैं कि महाराष्ट्र में बड़ी संख्या में हिंदू युवतियों को प्रेम के जाल में फंसाकर मुस्लिम धर्म को अपनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। ‘केरल स्टोरी’ के फेक नैरेटिव, जिसका प्रदर्शन देश में जगह-जगह किया गया और बड़ी संख्या में हिंदू समाज की छात्राओं एवं युवाओं को दिखाया जा रहा है, ने ‘मुस्लिम-फोबिया’ को एक नया आधार दे दिया है।

वैसे भी आगामी चुनावों को देखते हुए जब राज्य में किसानों, युवाओं, दलितों में राज्य सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही हो, और ऊपर से राज्य के हिस्से में स्वीकृत निवेश को पहले ही गुजरात को सौंप दिया गया हो, तो चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए अल्पसंख्यकों की आतताई, आतंकी और धर्मांध छवि ही ले देकर काम आने वाली है।

इसी का नतीजा है कि महाराष्ट्र के मामले में मजबूत पकड़ रखने वाले एनसीपी नेता शरद पवार ने जब इस बारे में सरकार की भूमिका पर प्रश्न करना शुरू किया तो भाजपा नेताओं ने एक-एक उन्हें ही औरंगजेब का अवतार कहना शुरू कर दिया, जिसकी शुरुआत भाजपा नेता नीलेश राणे की ओर से की गई।

पिछले दिनों शरद पवार ने एनसीपी के भीतर चल रहे घमासान को नाटकीय मोड़ देकर न सिर्फ भतीजे अजित पवार एवं अन्य विधायकों को पाला बदलकर भाजपा में जाने से रोका था, बल्कि हाल ही में पार्टी में भारी फेरबदल कर अपनी बेटी सुप्रिया सुले और वरिष्ठ नेता को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर अपनी राजनीतिक जीत को सुनिश्चित कर लिया है। महाविकास अघाड़ी में यदि टूटन नहीं होती है तो भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव ही नहीं बल्कि लोकसभा चुनावों में भी भारी नुकसान का खतरा बना हुआ है। ऐसे में उनके हस्तक्षेप ने आग में घी का काम किया, नतीजतन फेसबुक के माध्यम से शरद पवार को उसी तरह जान से मार डालने की धमकी दी गई, जैसा कि 2013 में डॉ नरेंद्र दाभोलकर की गोली मारकर हत्या की गई थी।

हालांकि ताजा खबर है कि पुणे के एक आईटी प्रोफेशनल को इस सिलसिले में हिरासत में लिया गया है, जिसका इस मामले में कथित हाथ बताया जा रहा है। मुंबई पुलिस के अनुसार सागर बर्वे नामक इस व्यक्ति को हिरासत में लेकर मुंबई ले आया गया है, और मंगलवार तक पुलिस रिमांड में रखा जायेगा। बर्वे ने इस धमकी को जारी करने के लिए दो फेक अकाउंट बनाये थे, लेकिन क्राइम ब्रांच ने आईपी एड्रेस के जरिये आरोपी का पता लगा लिया।

महाराष्ट्र के घटनाक्रम को देखते हुए जान पड़ता है कि अपनी कम होती साख को देखते हुए भाजपा-शिवसेना (शिंदे गुट) के लिए हिंदुत्व के एजेंडे पर ही आगे बढ़ने की राह बची है। इसके जरिये शिवसेना (उद्धव) गुट की पकड़ से कार्यकर्ताओं के एक धड़े को अपने पाले में खींचने के साथ एआईएआईएम के लिए भी यही मुफीद बैठता है। यदि सारी लड़ाई महा विकास अघाड़ी और सत्ताधारी दल के बीच ही सिमट जाती है तो ओवैसी की पार्टी के लिए महाराष्ट्र में फिर से कोई आधार नहीं बचेगा।

लेकिन यदि चुनावी मुद्दा विकास, बेरोजगारी, महंगाई से इतर सिर्फ हिंदू-मुस्लिम बन जाता है तो एआईएआईएम के लिए मुस्लिम समुदाय के बीच में गहरी पैठ का अवसर मिल जायेगा। भाजपा के लिए भी यह लाभ ही लाभ की स्थिति होगी। एक तरफ महा विकास अघाड़ी के मुस्लिम आधार में कमी आएगी, दूसरा आम हिंदू जनमानस के बीच भी असुरक्षा की भावना उसे एमवीए के बजाय हिंदुत्व की ओर आने के लिए मजबूर करेगी।

लेकिन महाराष्ट्र में विपक्ष कर्नाटक की तरह अनुभवी और तपे-तपाये नेताओं के हाथ में है, जो हर घटनाक्रम पर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया देते आ रहे हैं।

(रविंद्र पटवाल ‘जनचौक’ की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

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