G-20 के विज्ञान समिट के लिए उत्तराखंड में उजाड़े गए सैकड़ों परिवार, समाजवादी लोक मंच करेगा विरोध

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रामनगर। नैनीताल जिले के रामनगर स्थित कॉर्बेट नेशनल पार्क की खूबसूरत वादियों में जी-20 देशों की 28 से 30 मार्च तक तीन दिवसीय विज्ञान समिट प्रस्तावित है। रामनगर के ढिकुली स्थित आलीशान रिसॉर्ट्स में होने वाली इस समिट में आने वाले विदेशी प्रतिनिधि नई दिल्ली से पंतनगर एयरपोर्ट तक विमान से और उसके बाद ढिकुली तक सड़क मार्ग से जायेंगे।

विदेशी मेहमानों को देश की गरीबी न दिख जाए, इसके लिए पंतनगर हवाई अड्डे से ढिकुली गांव तक सड़क के किनारे लंबे समय से आबाद सैकड़ों लोगों को रातों-रात उजाड़ दिया गया है।

जी-20 के सम्मेलन को अपनी उपलब्धि बताने वाली भाजपा सरकार स्थानीय लोगों को उजाड़कर, उन्हें बेघर करके, भारतीय लोकतंत्र की नई इबारत लिख रही है। उत्तराखंड सरकार जी-20 की बैठक के लिए 100 करोड़ खर्च कर रही है। लेकिन इन उजाड़े गये लोगों के पुनर्वास पर फूटी कौड़ी भी खर्च करने के लिए तैयार नहीं है।

वैसे भारत सरकार ने भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन को एक विश्व-एक परिवार-एक भविष्य का नारा दिया है। लेकिन मेहमान आने से पहले ही हजारों लोगों को उजाड़ दिया जाए तो तीन दिन की इस बैठक में आम आदमी के हित में क्या चर्चा होगी, स्वयं ही अंदाजा लग सकता है।

समाजवादी लोक मंच ने जी-20 विज्ञान समित के समानांतर कई कार्यक्रमों का ऐलान किया है। समाजवादी लोक मंच की राय में जी-20 विज्ञान समिट के पहले जिस तरह से गरीबों को उजाड़ा गया, उसे देखकर लगता है कि जी-20 का मकसद दुनिया के लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य तथा अच्छा जीवन उपलब्ध कराना नहीं है बल्कि इस मंच का इस्तेमाल साम्राज्यवादी देशों का मकसद अकूत मुनाफा कमाने, कच्चे मालों के स्रोतों पर कब्जा करने तथा अपनी नीतियां गरीब देशों पर थोपने का है।

समाजवादी लोक मंच 28 मार्च को संगोष्ठी, 29 मार्च को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के शहीद मंगल पांडे को श्रद्धांजलि तथा 30 मार्च को रैली एवं जनसभा आयोजित करेगा।

समाजवादी लोकतंत्र मंच का कार्यक्रम

समिट के लिए रखी गई विध्वंस की बुनियाद

भारत में जी-20 देशों का शिखर सम्मेलन 9-10 सितम्बर, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित होगा। जिसमें जी-20 में शामिल देशों के राष्ट्राध्यक्ष, विशेष आमंत्रित देश तथा विश्व बैंक, विश्व व्यापार संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन आदि अंतर्राराष्ट्रीय संस्थाओं के प्रतिनिधि भी भागीदारी करेंगे।

भारत में जी-20 के अलग-अलग सहभागी समूहों की 200 से अधिक बैठकें अलग-अलग स्थानों पर आयोजित की जा रही हैं। ये समूह जी-20 के नेताओं को अपनी सिफारिशें देता है। ये समूह बिजनेस-20, सिविल-20, श्रम-20, संसद-20, विज्ञान-20, एसएआई-20, स्टार्टअप-20, थिंक-20 अर्बन-20, वुमन-20, यूथ-20 के नाम से जाने जाते हैं।

जी-20 में 19 देश तथा यूरोपीय यूनियन में शामिल देशों को मिलाकर 43 देश शामिल हैं। जी-20 के देश दुनिया के कुल सकल घरेलू उत्पाद का 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत व दुनिया की दो तिहाई जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं। 1997 में आए भीषण एशियाई वित्तीय संकट से निपटने के लिए 1999 में जी-20 का गठन किया गया था।

जी-20 का कोई भी मुख्यालय नहीं है। इसमें शामिल देश बारी-बारी से इसकी अध्यक्षता करते हैं। पिछले वर्ष 2022 में जी-20 की अध्यक्षता इंडोनेशिया के पास थी, 2023 में भारत के पास है और अगले वर्ष इसकी अध्यक्षता ब्राजील करेगा।

अंतर्विरोधों से भरा है जी-20 मंच

वैश्विक देशों के जी-20 मंच को भले ही विश्व कल्याण की नीतियों पर चर्चा और उनके क्रियान्वयन के लिए सक्रिय कहकर प्रचारित किया जाता हो लेकिन वास्तव में यह अपने अंतर्विरोधों से घिरा एक मंच है जहां हर प्रभावशाली देश अपने हित में निर्णय लागू करवाना चाहता है।

भारत में आयोजित जी-20 देशों की बैठकों के क्रम में विगत 1 व 2 मार्च को विदेश मंत्रियों की नई दिल्ली में हुयी बैठक में रूस और चीन के विदेश मंत्रियों ने साझा प्रस्ताव प्रारूप के दो पैराग्राफ पर आपत्ति जता दी थी। साझा प्रस्ताव में यूक्रेन पर रूसी हमले की आलोचना की गयी थी।

फरवरी, 2023 में वित मंत्री व केन्द्रीय बैंकों के गर्वनरों की बैठक में भी साझा प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन पायी थी। इन बैठकों ने दुनिया के शासकों के बीच के अंतविरोधों और झगड़ों को एक बार पुनः दुनिया के सामने उजागर कर दिया है।

G-20 बैठक को जनहित में नहीं मानता समाजवादी लोक मंच

समाजवादी लोक मंच के संयोजक मुनीष कुमार के अनुसार विज्ञान-20 के एजेंडे में सभी के लिए स्वास्थ्य शामिल है। 2017 में जर्मनी में साइंस-20 की शुरुआत हुई थी जिसका फोकस सभी को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना था परंतु 6 साल बीत जाने के बाद भी हमारे देश के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाई हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य पर कम खर्च करने से देश की 5:50 करोड़ से भी अधिक आबादी गरीबी रेखा के नीचे चली गई है। दुनिया के 1 चौथाई से भी अधिक टीबी के मरीज हमारे देश में हैं तथा प्रदूषित पीने का पानी पीने के कारण पिछले 30 वर्षों में 10 लाख से भी अधिक लोग लोगों की मौत हो चुकी है।

ग्रीन एनर्जी के नाम पर उत्तराखंड में बनाई गई जल विद्युत परियोजनाओं ने पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया है और जोशीमठ त्रासदी इसका सबसे ताजा उदाहरण है। स्वच्छ ऊर्जा के नाम पर हिमालय से निकलने वाली हिम नदियों पर उच्च हिमालयी क्षेत्र में बन रहे बांधों ने पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया है तथा हजारों हजार लागों को अपने घरों से विस्थापित किया है।

एक छलावा है जी-20 की बैठक

समाजवादी रास्ते को ही आखिरी विकल्प बताते हुए समाजवादी लोक मंच का कहना है कि जी-20 का जोर दुनिया की आबादी को निःशुल्क व गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने की जगह स्वास्थ्य सेवाओं को बाजार में बेचकर और पेटेंट कानूनों को लागू कराकर कम्पनियों के लिए मुनाफा अर्जित करना बनकर रह गया है।

ऐसे में देश में हो रहे जी-20 के शिखर सम्मेलन व उसके अंर्तगत रामनगर क्षेत्र में हो रही साइंस-20 की बैठक से यह उम्मीद लगाना कि इनसे आम आदमी के स्वास्थ्य, शिक्षा व सम्मानजनक रोजगार की गारंटी करने की तरफ आगे बढ़ा जाएगा, कोरी मूर्खता ही साबित होगी।

दुनिया की जनता के बीच भाईचारा, बराबरी, रोजी-रोटी, शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार की गारंटी जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन द्वारा नहीं बल्कि वैज्ञानिक समाजवाद द्वारा ही सम्भव है। समाजवाद में ही मजदूर, किसान व आम आदमी का भविष्य सुरक्षित है।

समाजवाद ही देश की जनता को लूट और शोषण से मुक्त कर सकता है। अतः हम सबको एक विश्व, एक परिवार एक भविष्य के नारे के भ्रम से बाहर आकर समाजवाद को स्थापित करने के संघर्षो को आगे बढ़ाना चाहिए।

(सलीम मलिक वरिष्ठ पत्रकार हैं और उत्तराखंड के रामनगर में रहते हैं।)

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