Sunday, April 28, 2024

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माहेश्वरी का मत: भारतीय मीडिया की अलग परिघटना हैं रवीश कुमार

रवीश कुमार के भाषणों को सुनना अच्छा लगता है । इसलिये नहीं कि वे विद्वतापूर्ण होते हैं ; सामाजिक-राजनीतिक यथार्थ के चमत्कृत करने वाले नये सुत्रीकरणों की झलक देते हैं । विद्वानों के शोधपूर्ण भाषण तो श्रोता को भाषा के एक अलग...

बहुजनों का पानीपत बना सोशल मीडिया का प्लेटफार्म ट्विटर

नई दिल्ली। क्या ट्विटर जातिवादी है? क्या ट्विटर पर सवर्णों का वर्चस्व है? अभिजात हिस्से का मंच माना जाने वाला सोशल मीडिया का यह प्लेटफार्म क्या दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों समेत सभी बहुजनों के साथ भेदभाव करता है? पिछले तकरीबन पांच...

पराली नहीं जहर उगलते प्लांट हैं मुख्य तौर पर प्रदूषण के लिए जिम्मेदार

मीडिया दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर किसानों के पराली जलाते हुए विजुअल दिखा रहा है, लगभग हर न्यूज़ चैनल पर यह दृश्य दिखाए जा रहे हैं। गोया कि सारा वायु प्रदूषण किसानों के पराली जलाने से ही होता है। लेकिन...

मेनस्ट्रीम मीडिया से आखिर क्यों गायब है रवीश के मैग्सेसे की ख़बर?

वैसे तो विनोबा भावे (1958) से लेकर अमिताभ चौधरी (1961), वर्गीज कुरियन (1963), जयप्रकाश नारायण (1965), सत्यजीत राय (1967), गौर किशोर घोष (1981), चंडी प्रसाद भट्ट (1982), अरुण शौरी (1982), किरण बेदी (1994), महाश्वेता देवी (1997), राजेन्द्र सिंह (2001), संदीप...

इत्तफाक या सब कुछ प्रायोजित है!

आज देश में जो हालात पैदा हो रहे हैं उस पर मुझे अपने बचपन की एक घटना याद आ रही है। एक रात हमारे पड़ोसी के घर में सेंध मार कर चोर चोरी कर रहे थे, तभी चोरों की आहट से...

अंतरिक्ष के रहस्यों से भी ज्यादा चकित करता मीडिया का व्यवहार

मिशन चंद्रयान 2 को लेकर मीडिया और राजनीतिक हलकों में जो कुछ चल रहा है वह आश्वस्त करने वाला है अथवा चिंतित बना देने वाला- यह विश्लेषण का विषय हो सकता है किंतु इतना तय है कि इस घटनाक्रम में कुछ...

कल्पना चावला के शोक को भी मीडिया ने बनाया था इवेंट

चंद्रयान मिशन 2 के साथ रचे गए मेलोड्रामा ने मुझे नासा के कॉलंबिया शटल हादसे की याद दिला दी है। भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला और उनके छह साथियों की मौत को भारतीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने इवेन्ट मे तब्दील...

गटर हो गया है भारत का मेनस्ट्रीम मीडिया: रवीश कुमार

नमस्कार, भारत चांद पर पहुंचने वाला है। गौरव के इस क्षण में मेरी नज़र चांद पर भी है और ज़मीन पर भी, जहां चांद से भी ज़्यादा गहरे गड्ढे हैं। दुनियाभर में सूरज की आग में जलते लोकतंत्र को चांद की...

सत्ता प्रायोजित मॉब लिंचिंग के बीच दो साल पहले ही मंदी ने दे दी थी दस्तक

दुनिया के कई आर्थिक पंडित दो साल पहले ही वैश्विक आर्थिक मंदी के बारे में घोषणा कर चुके हैं कि आने वाले डेढ़ से दो साल के बीच यह दस्तक दे सकती है। अक्टूबर 2017 में एम्सटरडम में हुई एक कॉन्फ्रेंस में मैराथन...

हर तरह के खतरे का सामना कर रहे हैं घाटी में पत्रकार

नई दिल्ली/श्रीनगर। कश्मीर लॉकडाउन को तकरीबन एक महीने होने जा रहे हैं। इस बीच जनता के अलावा जिस हिस्से को सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ा है वह पत्रकार हैं। सुरक्षबलों द्वारा उनके उत्पीड़न की अनगनित घटनाएं सामने आयी हैं। जिसमें...

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सलमान सोज और अमिताभ दुबे का लेख: कांग्रेस एक ज्यादा न्यायपूर्ण समाज बनाना चाहती है

कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र ने भारत में बढ़ती जा रही गैर-बराबरी पर एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ दी है। चूंकि...