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संस्कृति-समाज

भगत सिंह की फांसी और ग़द्दारों की कहानी

अंग्रेजी राज में एक ऐसे जज भी हुए जिन्होंने भगत सिंह को फांसी की सजा दिलाना कबूल नहीं किया और निर्णय सुनाने से पहले अपने [more…]

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संस्कृति-समाज

किताब पर चर्चा : कविताएं जो दे रही हैं ब्राह्मणी पितृसत्ता को चुनौती

पत्रकार भाषा सिंह के पहले कविता संग्रह “योनि-सत्ता संवाद पलकों से चुनना वासना के मोती” पर राजधानी दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में गहरी [more…]

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संस्कृति-समाज

वादियों के गोशे-गोशे से संवाद करती कश्मीर कोकिला हब्बा खातून और उनके गीत 

हब्बा खातून का जीवनकाल 1554 से 1609 तक का था। लगभग यही कार्यकाल मुग़ल बादशाह अकबर का भी था। जिस तरह अकबर की बादशाहत मशहूर [more…]

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संस्कृति-समाज

पंच-पतियों को आने दो!

ये लो कर लो बात। भगवा भाइयों के राज में भी ऐसा अत्याचार हो रहा है। छत्तीसगढ़ में पारसबाड़ा गांव में बेचारे आधा दर्जन पंच [more…]

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संस्कृति-समाज

हे भागवत जी, कुछ ऐसी भागवत-कथा कहो कि आपका श्रोता सुनते-सुनते सो जाए !

खबर है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिनिधि सभा की अगले महीने बंगलूरू में होने वाली बैठक में ‘हिंदू जागरण’ पर चर्चा होगी। यह अत्यंत [more…]

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संस्कृति-समाज

होली का गंगा-जमुनी इतिहास : जब फागुन रंग झमकते हों तब देख बहारें होली की

ध्रुवीकरण इनकी मजबूरी है। न करें तो और क्या करें? और कुछ आता भी तो नहीं इसके सिवा! न करें तो इनका तो राजनीतिक वजूद [more…]

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संस्कृति-समाज

व्यंग्य : कम्युनिस्टों को रोने दो, उनकी सिसकियां सुनता कौन है !

इस देश में एक ऐसा परिवार है, जो पहले बीपीएल कार्ड रखता था। अब वह बड़े करदाताओं में से एक है। कभी सुना है ऐसा [more…]

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संस्कृति-समाज

मोहन राकेश ने अपने बारे में पूरी ईमानदारी से लिखा : जयदेव तनेजा

नई दिल्ली। साहित्योत्साव के पांचवें दिन ‘भारत की अवधारणा’ पर विचार-विमर्श के साथ ही प्रख्यात लेखक मोहन राकेश एवं कवि गोपालदास नीरज को उनकी जन्मशताब्दियों [more…]

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संस्कृति-समाज

बनारस लिट फेस्ट: साहित्य की आत्मा से दूर, कृत्रिम चमक-दमक और खाए-पिए-अघाए लोगों का महोत्सव !

वाराणसी। बनारस यानी काशी, जो भारतीय साहित्य और संस्कृति की आत्मा है, जहां तुलसी ने रामचरितमानस की रचना की, जहां कबीर ने दोहों के माध्यम से सामाजिक [more…]

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संस्कृति-समाज

होली की मिठास से भरा-पूरा है इतिहास 

हमारी सांस्कृतिक धरोहरों में, होली ने साझी खुशी, दिल्लगी और आपसी सौहार्द्र का जो रंग प्राचीन साहित्य के इतिहास में मिलता है, उसका स्वरूप इतना [more…]