Tag: Dalit politics
उत्तर-प्रदेश में दलित राजनीति और डॉ. अंबेडकर का राजनीतिक दर्शन
क्रिस्टोफर जैफरलो की एक प्रसिद्ध पुस्तक है ‘India’s Silent Revolution’। यह उस दौर के राजनीतिक उभार को चिह्नित करती है जब दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व [more…]
दलित राजनीति क्या एक नए लोकतांत्रिक अध्याय की ओर बढ़ेगी ?
हाथरस में जो भयानक हादसा हुआ है उसमें मरने वाले अधिसंख्य लोग जाटव समाज के गरीब बताए जा रहे हैं। यह कितनी बड़ी त्रासदी है [more…]
दलित राजनीति का संक्रमण काल: बसपा की राष्ट्रीय पार्टी की पहचान खतरे में
दलित समुदाय में आज जबर्दस्त सामाजिक मंथन है। दलित राजनीति आज एक चौराहे पर है और भारी संक्रमण से गुजर रही है। भारतीय समाज के [more…]
वर्तमान दलित राजनीति को चाहिए एक नई दिशा और रेडिकल एजेंडा
कुछ समय पहले में एक साक्षात्कार में चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ ने कहा था कि वर्तमान दलित राजनीति का स्वर्णिम काल है। वैसे आज अगर दलित [more…]
सामंती-पूंजीवादी व्यवस्था में अम्बेडकर और दलित राजनीति
डॉ. भीमराव अम्बेडकर असमानता, दासता, अन्याय, जातीय और धार्मिक उत्पीड़न जैसी सामाजिक विसंगतियों के मुखर विरोधी रहे क्योंकि इन सामाजिक विसंगतियों से उपजी पीड़ाओं को [more…]
अवसरवाद से पासवान नहीं बन सके, दलितों के पासबान
भारत में दलित राजनीति का एक विशेष अर्थ है और इसके विस्तार का इतिहास अतीत तक जाता है। इसमें संत और राजनीतिज्ञ दोनों सम्मिलित हैं। [more…]
पाटलिपुत्र की जंग: दलों का तीसरा संगम बिगाड़ सकता है पहली दो धाराओं का खेल
बिहार का चुनावी तापमान पूरे शबाब पर है। एक तरफ जहां पार्टी अदलाबदली की कहानी तेज है, तो दूसरी तरफ सूबे की छोटी पार्टियां जिन्हें बटमार पार्टियां कहा जा [more…]
शब्दावली का धूर्त सांप्रदायिक खेल
बात ज्यादा पुरानी नहीं है। भीम आर्मी के चीफ चन्द्रशेखर रासुका के तहत जेल में बंद थे। सत्ता द्वारा उनके इस उत्पीड़न के खिलाफ लखनऊ [more…]