Saturday, April 27, 2024

economy

देश की असंगठित अर्थव्यवस्था पर हमला थी नोटबंदी: राहुल गांधी

(पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने वीडियो श्रृंखला की दूसरी कड़ी नोटबंदी पर जारी की है। इसमें नोटबंदी कैसे जनता के खिलाफ गहरी साजिश का नतीजा थी यह बताया गया है। इसके साथ ही इसने किसानों, मजदूरों और गैर...

पतनशीलता की सड़ांध ही मोदी की नियति है!

मोदी के आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रह्मण्यन को जीडीपी में वृद्धि की -23.9 प्रतिशत दर में भी विक्ट्री का V चिन्ह दिखाई दे रहा है ! उनकी इस बात से साफ़ है कि सचमुच मोदी सरकार ग़ज़ब के सनकी धुरंधरों...

मोदी अर्थव्यवस्था की अर्थी ढोएंगे या ढूंढेंगे कोई इलाज?

सरकार ने 31 अगस्त को, जीडीपी के आंकड़े जारी कर दिए, जिसमें यह नकारात्मक रूप से 23.9 फ़ीसदी यानी माइनस 23.9% है। इस गिरावट को ऐतिहासिक और भारतीय अर्थव्यवस्था में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट माना जा रहा...

‘एक्ट ऑफ गॉड’ नहीं जनाब, ये ‘एक्ट ऑफ सरकार’ है!

जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद मीडिया से वित्तमंत्री ने कहा, "देश की अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस के रूप में सामने आए असाधारण 'एक्ट ऑफ गॉड' का सामना कर रही है, जिसकी वजह से इस साल अर्थव्यवस्था के विकास की...

-23.9% विकास दर के साथ मुंह के बल गिरी जीडीपी! क्या है इस अर्थशास्त्र के पीछे का गणित?

नई दिल्ली। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय जब वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल, मई और जून का जीडीपी डाटा रिलीज करने जा रहा था तो यह माना जा रहा था कि जीडीपी में बड़े स्तर पर गिरावट...

‘मन की बात’ के जवाब में राहुल ने की ‘अर्थव्यवस्था की बात’, कहा- आपको गुलाम बनाने की हो रही है कोशिश

(कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कल ही घोषणा की थी कि वह मोदी सरकार की नीतियों पर वीडियो की नई श्रृंखला शुरू करने जा रहे हैं। उन्होंने आज इसकी शुरुआत कर दी है। इसकी पहली कड़ी में...

एक बहुवर्गीय लोकतांत्रिक मंच ही रोक सकता है बीजेपी-संघ का सांप्रदायिक रथ: अखिलेंद्र

(देश एक बड़े आंदोलन के मुहाने पर खड़ा है। कोरोना संकट ने रही-सही अर्थव्यवस्था की भी कमर तोड़ दी और बात यहां तक पहुंच गई है कि राज्यों के जीएसटी के पैसे की अदायगी से भी केंद्र ने हाथ...

कोरोना काल के संकेतों को न समझने वाला नष्ट होने जाने के लिए अभिशप्त

आर्थिक नीतियों के बारे में प्रधानमंत्री के अब तक की तमाम ऐतिहासिक लफ़्फ़ाज़ियों के परे वित्तमंत्री और रिज़र्व बैंक के गवर्नर के नृत्यों की जुगल जोड़ी सचमुच अब अश्लीलता की हद तक असहनीय होती जा रही है ।  इस पूरी...

वेंटिलेटर पर पड़ी अर्थव्यवस्था को चाहिए जनता का खून

मजदूर शहर में वापस आ रहे हैं। राज्य अंतर्राज्यीय आवाजाही में क्वारंटाइन करने की अनिवार्यता खत्म कर रहे हैं जिससे कि उनकी वापसी और आर्थिक गतिविधियां शुरू हो सकें। जबकि कोविड-19 से पीड़ितों की संख्या 60,000 प्रतिदिन से अधिक...

समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े दलितों को अर्थव्यवस्था में भी कोई जगह मयस्सर नहीं

किसी देश की अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी के मुख्यत: दो स्रोत होते हैं- उत्पादन के साधनों पर मालिकाना और शिक्षा-कौशल। अन्य दो स्रोत राजनीतिक एवं धार्मिक सत्ता यह तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं कि किसका उत्पादन के साधनों...

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ग्राउंड रिपोर्ट: किसानों की जरूरत और पराली संकट का समाधान

मुजफ्फरपुर। “हम लोग बहुत मजबूर हैं, समयानुसार खेतों की जुताई-बुआई करनी पड़ती है। खेतों में सिंचाई तो स्वयं कर...