Saturday, April 27, 2024

society

बच्चे पालने के सवाल पर स्त्री और पुरुष के बीच पैदा हुआ पहला श्रम विभाजन

मानव विज्ञान में खुद को लगा देने का उनका संकल्प महज किसी बौद्धिक उत्सुकता का परिणाम नहीं था । इसका गहरा राजनीतिक-सैद्धांतिक मकसद था । गहन ऐतिहासिक ज्ञान के आधार पर वे वास्तविकता के सबसे करीब के उस क्रम...

प्यू के सर्वे में सामने आयी भारतीय समाज की कूढ़मगजता

इलमों बस करीं ओ यार इक्को अलफ तेरे दरकार पढ़ पढ़ लिख लिख लावें ढ़ेर ढ़ेर किताबा चार चुफेर गिरदे चानण, विच्च हनेर पुच्छो रहा ते खबर न सार.. (तुमने बहुत ज्यादा ही पढ़ाई कर ली है, तुम्हें एक ही कायदा सीखने की जरूरत है,...

भारत में नहीं हो पाएगा किसी हिटलर का उदय

जो अपने विषाद के क्षण में कहते पाए जाते हैं कि ‘भारत बदल गया है’, वे हमारे जीवन के यथार्थ के विश्लेषण में बड़ी चूक करते हैं ।सच यह है कि भारत नहीं, भारत का शासन बदल गया है...

बिरसा मुंडा: 25 साल का जीवन, 5 साल का संघर्ष और भगवान का दर्जा!

भारत के इतिहास में बिरसा मुंडा एक ऐसे आदिवासी नायक हैं जिन्होंने झारखंड में अपने क्रांतिकारी विचारों से उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में आदिवासी समाज की दिशा बदलकर नवीन सामाजिक और राजनीतिक युग का सूत्रपात किया। अंग्रेजों द्वारा थोपे...

पुस्तक समीक्षा: ‘गूँगी रुलाई का कोरस’ यानी संगीत के बहाने समाज की चीर-फाड़

रणेंद्र का ताजा उपन्यास 'गूंगी रुलाई का कोरस' चर्चा में है। राजकमल प्रकाशन से आया यह उपन्यास अमेजन पर उपलब्ध है। रणेंद्र ने झारखंड में प्रशासनिक दायित्व निभाते हुए साहित्य की दुनिया में राष्ट्रीय पहचान बनाई। इससे पहले उनके...

भारतीय समाज में देवी और गाली के बीच झूलती महिला

संप्रति सोशल मीडिया पर दो तरह के लोग सक्रिय हैं। एक वे जो लिखते हैं और दूसरे जो बकते हैं। लिखने वाले लोग अच्छा भी लिखते हैं और बुरा भी। लेकिन बकने वाले लोग बस बकते हैं। और जो वे...

कोविड-19 भी पूंजीवाद से पैदा होने वाला एक संकट

जितने लोग दूसरे विश्वयुद्ध में मारे गये थे, उससे कहीं ज़्यादा लोग ‘तीसरे विश्वयुद्ध’ में मारे गये। यह तीसरा विश्वयुद्ध नज़र नहीं आया, लेकिन यह चार दशकों तक चलता रहा। पूंजीवाद की यही सबसे बड़ी ख़ासियत है कि वह...

शिक्षा बजट में कटौती: अनपढ़ और जाहिल समाज मौजूदा सत्ता की पहली पसंद

बजट 2021 - 22, सरकारी सम्पदा को बेचने यानी सरकार के शब्दों में विनिवेशीकरण या निजीकरण का एक दस्तावेज है, और इसे साइबर की तकनीकी भाषा मे कहें तो, यह एक टूलकिट की तरह है। सरकार, किसलिए अवतरित हुयी...

धर्म उत्पीड़ित की आह है, हृदयविहीन दुनिया का हृदय है: मार्क्स

मार्क्सवाद समाज को समझने का विज्ञान और उसे बदलने का आह्वान है। समाज के हर पहलू पर इसकी सत्यापित स्पष्ट राय है, धर्म पर भी। ‘हेगेल के अधिकार के दर्शन की समीक्षा में एक योगदान’ में मार्क्स ने लिखा...

हिरासत में अत्याचार से व्यक्ति की मौत सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय कई बार कह चुका है कि हिरासत में अत्याचार से किसी व्यक्ति की मौत सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है। इसके बावजूद देश के किसी न किसी कोने से कस्टोडियल डेथ की ख़बरें आती ही रहती हैं...

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ग्राउंड रिपोर्ट: किसानों की जरूरत और पराली संकट का समाधान

मुजफ्फरपुर। “हम लोग बहुत मजबूर हैं, समयानुसार खेतों की जुताई-बुआई करनी पड़ती है। खेतों में सिंचाई तो स्वयं कर...