Author: बादल सरोज
मुनव्वर से बरास्ते वीर दास, कुणाल तक गहरे होते अंधेरे से मुक़ाबिल उजाले
पिछले सात साल में दो मामलों में मार्के का विकास हुआ है। एक ; मोदी राज की उमर बढ़ी है, बढ़कर दूसरे कार्यकाल का भी [more…]
वे तो शहीद हुए हैं, मरा तो कुछ और है ! कृषि मंत्री के चुनिंदा स्मृति-लोप की क्रोनोलॉजी
तीन कृषि कानूनों की वापसी के लिए लड़ते लड़ते किसान आंदोलन में शहीद हुए सातेक सौ किसानों के बारे में संसद में दिए जवाब में केंद्रीय [more…]
गाँव बसने से पहले ही आ पहुँचे उठाईगीरे
19 नवम्बर की भाषणजीवी प्रधानमंत्री के तीनो कानूनों को वापस लेने की मौखिक घोषणा पर कैबिनेट ने 5 दिन बाद 24 नवम्बर को मोहर लगाई और [more…]
रानी कमलापति या आदिवासियों का धृतराष्ट्र आलिंगन!
संघी कुनबे को भारत के मुक्ति आंदोलन के असाधारण नायक बिरसा मुण्डा की याद उनकी शहादत के 122वें वर्ष में आयी। अंग्रेजों से लड़ते हुए [more…]
आसमां पै है खुदा और जमीं पै ये
हर तीन महीने में होने वाली भाजपा कार्यकारिणी की बैठक दो वर्ष के लम्बे अंतराल के बाद मात्र एक दिन के लिए हुयी और “तेरे नाम [more…]
हो गया दूर जो साहिल तो खुदा याद आया!
उर्दू के शायर सदा नेवतनवी साहब का शेर है कि ;“अब है तूफ़ान मुक़ाबिल तो ख़ुदा याद आयाहो गया दूर जो साहिल तो खुदा याद [more…]
महंगाई ने खड़ा कर दिया है किसानों को शहरी मजदूरों की कतार में
मुरैना जिले के बस्तौली गाँव के गयाराम सिंह धाकड़ को समझ ही नहीं आ रहा है कि सरसों के उम्मीद से कहीं ज्यादा अच्छे भाव [more…]
मालवा में पतझड़ की बहार और उसके ध्वजाधारी
मध्यप्रदेश में इन दिनों पतझड़ के बहार हैं और प्रदेश का वह अंचल जिसे मालवा कहा जाता है इसका सबसे बदतरीन शिकार है। सप्ताह भर [more…]
जनता के खून-पसीने से बनी आयुध कंपनियों की बिक्री को राष्ट्र के नाम समर्पण बताने की धूर्तता
प्रचलन में यह है कि दशहरे के दिन अस्त्र-शस्त्रों की पूजा होती है। मगर जैसा कि विश्वामित्र कह गए हैं ; “कलियुग में सब उलटा-पुलटा [more…]
न्यूटन से विदुर तक लखीमपुर खीरी पैटर्न और क्रोनोलॉजी
गांधी के जन्मदिवस के ठीक अगले दिन लखीमपुर खीरी में विरोध प्रदर्शन करके वापस लौट रहे किसानों को गाड़ियों से रौंदने का, निर्ममता के फ़िल्मी [more…]