पुस्तक समीक्षा: बाबा पोते के बालमन की गुनगुनाहट है ‘वासुनामा’
साहित्य कला और संस्कृति के क्षेत्र में बहुमुखी प्रतिभा के बहुत से लोग हुए और उनके काम को यश भी मिला और उन्हें अनुकरणीय भी [more…]
साहित्य कला और संस्कृति के क्षेत्र में बहुमुखी प्रतिभा के बहुत से लोग हुए और उनके काम को यश भी मिला और उन्हें अनुकरणीय भी [more…]
अँधेरनगरी आज अगर एक खुशहाल राज्य है, और अगर यहां के नागरिक अपने रोटी-कपड़ा-मकान-रोजगार-शिक्षा-स्वास्थ्य जैसी तुच्छ भौतिक आवश्यकताओं के मकड़-जाल से ऊपर उठ चुके हैं, [more…]
पिछले मंगलवार को दिल्ली के जवाहर भवन में एक फिल्म देखी। “इन गलियों में”। फिल्म का नाम और पोस्टर देखकर ऐसा लगा कि फिल्म “कला [more…]
कार्ल मार्क्स ने 19वीं सदी में वैज्ञानिक समाजवाद का सिद्धांत प्रतिपादित किया था। तब से लेकर आज तक दुनिया भर में अलग-अलग देशों की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों [more…]
आजकल भारत के बहुसंख्यक हिंदुओं में से कट्टरपंथी तत्व बांग्लादेश के मुस्लिम बहुसंख्यकों में बढ़ते कट्टरपंथ पर आग-बबूला हो रहे हैं। यही हाल बांग्लादेश के [more…]
होठों पर सच्चाई रहती है, जहां दिल में सफाई रहती है। हम उस देश के वासी हैं, जहां गंगा बहती है। इंसान का इंसान से [more…]
वीरेंद्र सेंगर वहां चले गये जहां से कोई कभी लौट कर नहीं आता। लेकिन वे लोगों की यादों में, उनके दिलों में उनकी आखिरी सांस [more…]
भगत सिंह हिंदुस्तान के भविष्य को लेकर बहुत चिंतित थे। स्वतंत्रता का अर्थ उनकी नजर में अंग्रेजों से मुक्त भारत कतई नहीं था बल्कि उनकी [more…]
भगत सिंह को 23 मार्च, 1931 को फांसी की सजा दी गई थी और अपनी शहादत के बाद वे हमारे देश के उन बेहतरीन स्वाधीनता [more…]
डॉ. राममनोहर लोहिया का जन्मदिन 23 मार्च को होता है। हालांकि कहा जाता है वे अपना जन्मदिन मनाते नहीं थे। क्योंकि उसी दिन क्रांतिकारी भगत [more…]