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लेखक

जन्म दिन विशेषः नेमिचंद्र जैन ने रंगकर्म में भरे जीवन के रंग

साल 2019, नेमिचंद्र जैन यानी नेमि बाबू का जन्मशती वर्ष था। पिछले साल उनकी याद में शुरू हुए तमाम साहित्यिक कार्यक्रम, इस साल उनके जन्म [more…]

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ज़रूरी ख़बर

जब पूरा देश एक ही नारे से गूंज उठा! ‘लाल किले से आई आवाज-सहगल, ढिल्लन, शाहनवाज़’

हमारे देश की स्वतंत्रता में यूं तो असंख्य भारतीयों और अनेक तूफानी घटनाओं का योगदान है, लेकिन इन घटनाओं में से कुछ घटनाएं ऐसी हैं, [more…]

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लेखक

चंद्रकांत देवताले की पुण्यतिथिः ‘हत्यारे सिर्फ मुअत्तिल आज, और घुस गए हैं न्याय की लंबी सुरंग में’

हिंदी साहित्य में साठ के दशक में नई कविता का जो आंदोलन चला, चंद्रकांत देवताले इस आंदोलन के एक प्रमुख कवि थे। गजानन माधव मुक्तिबोध, [more…]

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लेखक

जन्मदिन विशेषः कभी पहाड़ पर न रहने वाले मनोहर श्याम जोशी ने रचा है पहाड़ों का जीवन दर्शन

हिंदी साहित्य में ऐसे विरले ही कथाशिल्पी हुए हैं, जिन्होंने अपने लेखन को दृश्य-श्रव्य जैसे संप्रेषणीय माध्यमों से जोड़कर, आम लोगों तक बड़े ही कामयाबी [more…]

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लेखक

भीष्म साहनी की जयंतीः लेखक राजनीति के आगे चलने वाली मशाल है

प्रगतिशील और प्रतिबद्ध रचनाकार भीष्म साहनी को याद करना, हिंदी की एक शानदार और पायदार परंपरा को याद करना है। वे एक अच्छे रचनाकार के [more…]

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संस्कृति-समाज

शकील बदायूंनी की जयंती पर विशेष: ’‘मैं ‘शकील’ दिल का हूं तर्जुमा…’’

‘‘मैं ‘शकील’ दिल का हूं तर्जुमा, कि मुहब्बतों का हूं राज़दां/मुझे फ़क्र है मेरी शायरी, मेरी जिंदगी से जुदा नहीं’’ शायर शकील बदायूंनी की गजल [more…]

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ज़रूरी ख़बर

रफी की पुण्यतिथिः ‘बापू की ये अमर कहानी’ गीत सुनकर रो दिए थे प्रधानमंत्री नेहरू

‘‘लता मंगेश्कर भारत रत्न तो मोहम्मद रफी क्यों नहीं?’’ अक्सर यह सवाल शहंशाह-ए-तरन्नुम मोहम्मद रफी के चाहने वाले पूछते हैं, लेकिन इस सवाल का जवाब [more…]

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संस्कृति-समाज

पुण्यतिथि पर विशेष: शहीद ऊधम सिंह, सात समंदर पार जाकर जिसने की अपनी शपथ पूरी

पंजाब की सरजमी ने यूं तो कई वतनपरस्तों को पैदा किया है, जिनकी जांबाजी के किस्से आज भी मुल्क के चप्पे-चप्पे में दोहराए जाते हैं, [more…]

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संस्कृति-समाज

जयंती पर विशेष: नामवर थे, नामवर सिंह

हिन्दी साहित्य के आकाश में नामवर सिंह उन नक्षत्रों में से एक हैं, जिनकी विद्वता का कोई सानी नहीं था। साहित्य, संस्कृति और समाज का [more…]

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संस्कृति-समाज

पुण्यतिथि पर विशेष: ‘नीरज’ तो कल यहां न होगा, लेकिन उसका गीत-विधान रहेगा

‘‘कहानी बन कर जिए हैं इस जमाने में/सदियां लग जाएंगी हमें भुलाने में/आज भी होती है दुनिया पागल/जाने क्या बात है नीरज के गुनगुनाने में।’’ [more…]