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राजनीति

अद्भुत है ‘टाइम’ में जीते-जी मनमाफ़िक छवि का सृजन!

भगवा कुलभूषण अब बहुत ख़ुश हैं, पुलकित हैं, आह्लादित हैं, भाव-विभोर हैं क्योंकि टाइम मैगज़ीन ने चौथी बार उन्हें विश्व के सौ प्रभावशाली लोगों में [more…]

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बीच बहस

कांग्रेस की बीमारियां उन्हें क्यों सता रहीं जिन्होंने इसे वोट दिया ही नहीं?

मध्यम वर्गीय, शिक्षित, खाते-पीते लोगों और ख़ासकर सवर्णों के बीच कांग्रेस की चिर परिचित बीमारियां अरसे से आपसी चर्चा का मुद्दा बनती रही हैं। लेकिन [more…]

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बीच बहस

‘ग़रीब-कल्याण-रोज़गार’ के नाम पर अभी तो सरकार ने सिर्फ़ मुनादी ही करवाई है

कृपया मेरी इस वेदना पर यक़ीन करें कि 30 साल के अपने पत्रकारीय जीवन में मैंने कभी किसी एक ख़बर का ब्यौरा जानने के लिए [more…]

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ज़रूरी ख़बर

प्रधानमंत्री जी को ये हो क्या गया है?

सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री ने ऐसा धमाका करके दिखा दिया है, जैसा दुनिया के ज्ञात इतिहास में शायद ही कभी हुआ हो! हुज़ूर का कहना [more…]

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राजनीति

चीनी कब्जे से रिहा हुए सैनिकों की आड़ में ‘झूठ की खिचड़ी’ क्यों परोस रही है सरकार!

ये शब्द कड़वे भले लगें लेकिन हैं बिल्कुल सच्चे कि भारत सरकार, इसकी सेना और इसका विदेश मंत्रालय, देश को ग़ुमराह कर रहा है। वर्ना, [more…]

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बीच बहस

नेपाल पर भी हावी हैं राष्ट्रवादी लपटें, भारत-विरोध वहाँ की राजनीतिक मज़बूरी है

आख़िर क्यों, सदियों से भारत से दोस्ताना सम्बन्ध रखने वाला नेपाल देखते ही देखते दुश्मनों जैसा व्यवहार करने लगा? मौजूदा दौर में जब चीन, पाकिस्तान [more…]

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बीच बहस

सरकार साफ़ क्यों नहीं बताती कि भारत-चीन वार्ता की एक और कोशिश भी नाकाम रही?

शनिवार, 6 जून को लेह-लद्दाख के चुशुल-मोल्डो क्षेत्र में सीमावर्ती बैठक स्थल पर हुई लेफ़्टिनेंट जनरल स्तरीय बातचीत भी बेनतीज़ा ही रही। हालाँकि, राजनयिक दस्तूर [more…]

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राजनीति

वेतन, EMI और प्रवासी: मोदी सरकार के दावों की पोल खुलनी शुरू

कोरोना संकट को लेकर केन्द्र सरकार ने जनता को राहत देने के लिए तरह-तरह की घोषणाएँ कीं। वित्त मंत्री तो पाँच दिनों तक अपने पैकेज़ों [more…]

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बीच बहस

‘उड़ता ताबूत’ की तरह ‘आत्मनिर्भर PPE’ के लिए भी एक जुमले की तलाश जारी है!

130 करोड़ भारतवासी देख रहे हैं कि हमारी सरकारें ग़रीबों की भूख और उनके सड़कों पर मारे जाने के प्रति कितनी संवेदनहीन बनी हुई हैं। [more…]

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बीच बहस

जब आलम ‘समानान्तर सरकार’ का हो तो ‘गुस्ताख़’ हाईकोर्ट्स को माफ़ी कैसी?

कोरोना संकट की आड़ में जैसे श्रम क़ानूनों को लुगदी बनाया गया, क्या वैसा ही सलूक अब न्यायपालिका के साथ भी होना चाहिए? क्योंकि बक़ौल [more…]