Estimated read time 1 min read
ज़रूरी ख़बर

कांग्रेस, आलोचना और अंधभक्ति: क्या हम तर्क से विमुख हो चुके हैं?

हाल ही में कांग्रेस की आलोचना पर एक सज्जन इस कदर तिलमिला गए कि शालीन संवाद छोड़ अपशब्दों की शरण ले बैठे। अफसोस की बात [more…]

Estimated read time 2 min read
राजनीति

सिब्बल, दुष्यंत दवे की कड़ी में प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की तीखी आलोचना की

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और दुष्यंत दवे की कड़ी में मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाले देश के मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने भारत के सुप्रीम [more…]

Estimated read time 4 min read
राजनीति

हिंदुत्ववादी नफ़रत का विदेशों में बजा डंका, आरएसएस-बीजेपी और मोदी की चौतरफा निंदा

”एक समाज जनसंहार को रोकना चाहता है। इससे जुड़े कार्यक्रमों को रोका जाता है और गिरफ़्तारियां होती हैं ताकि फिर से ना हो। लेकिन मोदी [more…]

Estimated read time 1 min read
लेखक

पुण्यतिथिः नामवर सिंह को बाबा नागार्जुन मानते थे चलता-फिरता विद्यापीठ

हिंदी साहित्य के आकाश में नामवर सिंह उन नक्षत्रों में से एक हैं, जो अपनी चमक हमेशा बिखेरते रहेंगे। उनकी चमक कभी खत्म नहीं होगी। [more…]

Estimated read time 1 min read
बीच बहस

धर्म उत्पीड़ित की आह है, हृदयविहीन दुनिया का हृदय है: मार्क्स

मार्क्सवाद समाज को समझने का विज्ञान और उसे बदलने का आह्वान है। समाज के हर पहलू पर इसकी सत्यापित स्पष्ट राय है, धर्म पर भी। [more…]

Estimated read time 1 min read
ज़रूरी ख़बर

‘न्यायिक बर्बरता’ की संज्ञा पर तिलमिला गए कानून मंत्री!

26 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह में केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री और इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद [more…]

Estimated read time 1 min read
बीच बहस

भाजपा के जाल में फंसने से बच रहा है महागठबंधन

बिहार में राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और वामपंथी दलों का महागठबंधन अपने चुनाव अभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने से परहेज कर रहा [more…]

Estimated read time 1 min read
बीच बहस

आलोचना पत्रिका के बहानेः बाजार और जंगल के नियम में कोई फर्क नहीं होता!

पांच दिन पहले ‘आलोचना’ पत्रिका का 62वां (अक्तूबर-दिसंबर 2019) अंक मिला। कोई विशेषांक नहीं, एक सामान्य अंक। आज के काल में जब पत्रिकाओं के विशेषांकों [more…]

Estimated read time 1 min read
राजनीति

कोर्ट में अनर्गल आलोचनाओं को भी बर्दाश्त करने की क्षमता होनी चाहिए: प्रशांत भूषण

0 comments

सवाल: आपने कहा कि आलोचना और कड़ी आलोचना कोर्ट की रक्षा करती है कोर्ट ने कहा कि आलोचना साफ सुथरी होनी चाहिए। उसे लक्ष्मण रेखा पार नहीं करनी चाहिए। तो क्या कोर्ट आलोचकों से आत्म अनुशासित होने की बात कह रही है? या फिर कोर्ट सार्वजनिक तौर पर बोलने पर [more…]

Estimated read time 1 min read
राजनीति

‘संवैधानिक कर्तव्यों से विमुख हो गए हैं सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश’

उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने कहा है कि मैं अपनी न्यायपालिका से प्यार करता हूं और मैं अपने न्यायाधीशों से प्यार [more…]