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संस्कृति-समाज

सज्जाद ज़हीर : तरक्की पसंद तहरीक की जिंदा रूह

हिंदुस्तानी अदब में सज्जाद जहीर की शिनाख्त, तरक्की पसंद तहरीक के रूहे रवां के तौर पर है। वे राइटर, जर्नलिस्ट, एडिटर और फ्रीडम फाइटर भी [more…]

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संस्कृति-समाज

जन्मदिन विशेषः हबीब तनवीर ने कह दिया था सामाजिक-राजनीतिक उद्देश्यों के लिए फिल्मों को अलविदा

आधुनिक रंगमंच में हबीब तनवीर की पहचान लोक को पुनर्प्रतिष्ठित करने वाले महान रंगकर्मी की है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 1 सितंबर, 1923 को [more…]

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संस्कृति-समाज

जयंती पर विशेष: राही का मानना था- देश के राजनीतिक-आर्थिक ढांचे में बसता है सांप्रदायिकता का भूत

‘‘मेरा नाम मुसलमानों जैसा है/मुझे कत्ल करो और मेरे घर में आग लगा दो/लेकिन मेरी रग-रग में गंगा का पानी दौड़ रहा है/मेरे लहू से [more…]

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संस्कृति-समाज

जन्मदिवसः गरीबों-मजदूरों को अंधेरे में संघर्ष की राह दिखाते हैं शैलेंद्र के गीत

भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) ने देश को कई शानदार कलाकार, गीतकार और निर्देशक दिए। शैलेंद्र भी ऐसे ही एक गीतकार हैं, जिनकी पैदाइश इप्टा [more…]

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संस्कृति-समाज

पुण्यतिथिः महाराष्ट्रियन सांस्कृतिक चेतना के चितेरे थे अमर शेख

अमर शेख एक आंदोलनकारी लोक शाहीर थे। वे जन आंदोलनों की उपज थे। यही वजह है कि अपनी जिंदगी के आखिरी समय तक वे आंदोलनकारी [more…]

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जयंतीः राजेंद्र यादव ने साहित्य में दी अस्मिताओं के वजूद को नई पहचान

हिंदी साहित्य को अनेक साहित्यकारों ने अपने लेखन से समृद्ध किया है, लेकिन उनमें से कुछ नाम ऐसे हैं, जो अपने साहित्यिक लेखन से इतर [more…]

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संस्कृति-समाज

पुण्यतिथिः शिवसेना की धमकी के आगे नहीं झुके एके हंगल, फिल्में रोक दी गईं तो करने लगे थे टेलरिंग

एके हंगल के नाम का जैसे ही तसव्वुर करो, तुरंत हमारी आंखों के सामने एक ऐसी शख्सियत आ जाती है जो सौम्य, शिष्ट, सहृदय, सभ्य, [more…]

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संस्कृति-समाज

जन्मदिन पर विशेष: ‘रशीद जहां’ यानी एक ज़िंदा बगावत!

डॉ. रशीद जहां, तरक्कीपसंद तहरीक का वह उजला, चमकता और सुनहरा नाम है, जो अपनी सैंतालिस साल की छोटी सी जिंदगानी में एक साथ कई [more…]

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जयंती पर विशेष: हाशिये की महिलाओं की जुबान थीं इस्मत चुगताई

उर्दू और हिंदी की दुनिया में ‘इस्मत आपा’ के नाम से मशहूर इस्मत चुगताई की पैदाइश उत्तर प्रदेश के बदायूं शहर की है। अलबत्ता उनका [more…]

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राहत की स्मृति: ‘वो गर्दन नापता है नाप ले, मगर जालिम से डर जाने का नहीं’

अब ना मैं हूं ना बाक़ी हैं ज़माने मेरेफिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरेकुछ ऐसे ही हालात हैं, शायर राहत इंदौरी के इस [more…]