उदारीकरण के दौर में जब सब कुछ निजी क्षेत्रों में सौंप दिए जाने का दौर शुरू हुआ तो उसकी शुरुआत मुक्त बाजार और लाइसेंस परमिट मुक्त उद्योगों से हुई। जो सिस्टम, धीर-धीरे ही सही, लोककल्याणकारी राज्य की अवधारणा के...
2021-22 का बजट सामान्य रूटीन का बजट नहीं हैं, यह खुलेआम इस बात की घोषणा करता है कि देश की अर्थव्यवस्था का विकास एवं संचालन निजी क्षेत्र द्वारा ही किया जा सकता है और किया जाना चाहिए। यह एक...
जब से केंद्र में मोदी सरकार ने सत्ता संभाली है, तब से अब तक लगभग पिछले साढ़े छह साल में डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 820 फीसद और पेट्रोल पर 258 प्रतिशत बढ़ाई गई है। सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर टैक्स...
हां, दिल के करीब है खेती-किसानी। और, दिमाग के? ढेरों सवाल उमड़ पड़ते हैं। खेती करना घाटे का सौदा है; यहां तो बस जिंदगी थमी सी रहती है; काम करते जाओ बैल की तरह और बस उस जैसा ही...
किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के संयोजक मंडल के सदस्य, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के सदस्य एवं पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम ने केंद्र सरकार के बजट को निराशाजनक एवं पूंजीपतियों...
कोई माने या न माने पर एक जागरूक नागरिक और पत्रकार होने के नाते मेरा मानना यही है कि मोदी सरकार गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रही है और सरकारी खर्चे का बड़ा हिस्सा पेट्रोलियम उत्पादों पर लगाए गए...
आरएसएस और मोदी ने भारत को अंदर से खोखला करने के अपने अंतर्घातमूलक अभियान का प्रारंभ सत्ता पर आने के साल भर के अंदर ही 2015 के उस रफाल विमानों के सौदे से शुरू किया था, जिसमें 126 विमानों...
अगर यह सवाल, सरकार या नीति आयोग, जो उसका थिंकटैंक है, से पूछा जाए कि 2014 के बाद सरकार की आर्थिक नीति क्या है? तो उसका उत्तर होगा आर्थिक सुधार लागू करने की। फिर सवाल उठता है कि यह...
क्या मैं पर्यावरण की रक्षा में अपनी भूमिका निभा रहा हूं? क्या सरकार की नीतियां पर्यावरण की सुरक्षा या कॉरपोरेट द्वारा संचालित हैं? क्या मीडिया प्रासंगिक पर्यावरणीय मुद्दों को मेरे सामने ला रहा है? ये सिर्फ कुछ सवाल हैं,...
भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के साथ पूंजीवाद का संबंध उपनिवेश और औपनिवेशिक शक्ति के बीच के संबंध का रूप ले चुका है। पिछले तमाम वर्षों में गांवों में निवेश और गांवों से धन की निकासी के बीच भारी फ़र्क़...