ज्ञानवापी: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद समिति की याचिका खारिज की, सर्वेक्षण को न्याय के लिए जरूरी बताया

Estimated read time 1 min read

इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा गुरुवार को वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा किये जाने वाले सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली अंजुमन मस्जिद समिति की याचिका को खारिज कर देने के बाद अब सर्वेक्षण का रास्ता खुल गया है। कानूनी वेबसाइट लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार, आदेश में कहा गया है कि न्याय के हित में वैज्ञानिक सर्वेक्षण का होना जरूरी है।

मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर इस मामले की सुनवाई कर रहे थे, लेकिन यह फैसला कोर्ट के आदेश सुरक्षित रखने के एक सप्ताह बाद आया है, जिसमें स्पष्ट कहा गया था कि अदालत का आदेश आने तक सर्वेक्षण का कोई कार्य नहीं किया जाएगा।

अंजुमन मस्जिद समिति ने वाराणसी जिला न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें वज़ूखाना क्षेत्र को छोड़कर परिसर के एएसआई सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी।

21 जुलाई के आदेश में वाराणसी जिला न्यायाधीश ए.के विश्वेशा ने 16 मई, 2023 को चार हिंदू महिलाओं द्वारा दायर एक आवेदन पर ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वेक्षण का निर्देश दिया था। मस्जिद का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने के पीछे उद्देश्य यह पता लगाना था कि क्या ‘वर्तमान ढांचे’ का निर्माण ‘पहले से मौजूद एक हिंदू मंदिर के ढांचे के ऊपर किया गया है अथवा नहीं’।

इससे पहले अंजुमन मस्जिद समिति ने वाराणसी जिला न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में 24 जुलाई को जब इस मामले को लेकर सुनवाई शुरू हुई, उस समय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वेक्षण कर रही थी।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई को एएसआई के सर्वेक्षण पर 26 जुलाई शाम 5 बजे तक रोक लगा दी थी, और मस्जिद समिति को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए कहा गया था। 27 जुलाई को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई पूरी कर अपने आदेश को 3 अगस्त तक के लिए सुरक्षित रखा था, और इसी के साथ एएसआई द्वारा सर्वेक्षण के काम पर भी रोक बढ़ा दी थी।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी परिसर में सर्वेक्षण का काम रोके जाने के बाद समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने बयान में कहा कि मुस्लिम समुदाय को आगे आकर इस बात को कहना चाहिए कि ‘इस साइट पर ऐतिहासिक गलती हुई थी, और उन्हें इसका ‘समाधान’ सुझाना चाहिए।’ योगी आदित्यनाथ का यहां तक कहना था, ‘जिस किसी के पास ईश्वर की दृष्टि है, उसके लिए सब कुछ साफ़-साफ़ है। अगर हम उसको मस्जिद कहेंगे तो फिर विवाद होगा। हमें ज्ञानवापी बोल देना चाहिए। वो ज्ञानवापी है।’

अब चूंकि फैसला सर्वे को जारी रखने के पक्ष में आया है और अंजुमन इंतजामिया कमेटी की याचिका उच्च न्यायालय द्वारा ख़ारिज कर दी गई है, ऐसे में एक बार फिर उनकी ओर से सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की बात कही जा रही है। हिंदू पक्ष के वकील के अनुसार कोर्ट में एएसआई की ओर से अपनी दलील में कहा गया है कि सर्वे के दौरान खुदाई नहीं होगी। जांच के लिए जीपीआर और कार्बन डेटिंग पद्धति का इस्तेमाल किया जायेगा। किसी भी खुदाई से पहले पुरातत्व विभाग को अदालत से इसकी इजाजत लेना आवश्यक है।

You May Also Like

More From Author

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments