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ज़रूरी ख़बर

खाकी की भेष में छुपे अपराधियों को कब मिलेगी सजा

हमारा संविधान कहता है कि ‘जब तक किसी व्यक्ति पर किसी सक्षम न्यायालय द्वारा अपराध सिद्ध नहीं हो जाता, उनसे अपराधी की तरह व्यवहार नहीं [more…]

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बीच बहस

पेगासस जासूसी में सुप्रीमकोर्ट के एक जज का नाम ही इसकी जाँच के लिए काफी!

एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ), न्यायिक जवाबदेही और सुधार अभियान (सीजेएआर) ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश का नाम, जिनके फोन हैक किए गए [more…]

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बीच बहस

सामान्य अपराधों में यूएपीए का इस्तेमाल इस कानून के पूरे उद्देश्य को कर देता है बेमानी

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आंदोलन करने के चलते यूएपीए (ग़ैरक़ानूनी गतिविधि निरोधक क़ानून, 1967) के तहत गिरफ्तार प्रदर्शनकारी छात्र-छात्राओं नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और [more…]

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बीच बहस

भारत में फैलती जा रही है भ्रष्टाचार की विषबेल

वर्ष की शुरुआत में ट्रांस्पेरेन्सी इंटरनेशनल द्वारा जारी करप्शन पर्सेप्शन्स इंडेक्स- 2020 में भारत को 180 देशों की सूची में 86वें पायदान पर रखा गया है। गौरतलब [more…]

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बीच बहस

गोपनीयता कानून, खोजी पत्रकारिता और राफेल के बीच रिश्ता

मीडियापार्ट, फ्रांस की एक खोजी पत्रिका है जिसने राफेल के सौदे पर पहली बार घोटाले का संकेत दिया था, जब उसने फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति [more…]

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पहला पन्ना 

न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जा सकता:चीफ जस्टिस

चीफ जस्टिस एनवी रमना ने स्पष्ट कर दिया कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा है कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष [more…]

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पहला पन्ना 

चुनाव अत्याचार को खत्म करने की गारंटी नहीं: चीफ जस्टिस एनवी रमना

“कोविड-19 महामारी के कारण पूरी दुनिया के सामने आ रहे ‘अभूतपूर्व संकट’ को देखते हुए, हमें आवश्यक रूप से रुक कर खुद से पूछना होगा [more…]

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बीच बहस

मोदी तंत्र के खिलाफ उठ खड़ा हुआ है भारतीय लोकतंत्र

प्रधानमंत्री मोदी, उनके सिपहसालार अमित शाह और उनके राजनीतिक तथा वैचारिक अभिभावक आरएसएस ने शायद ही सोचा होगा कि 2021 का साल आते ही भारत [more…]

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ज़रूरी ख़बर

विरोध को कुचलने का हथियार बन गयी है राजद्रोह की धारा 124ए

“प्रधानमंत्री आतंकी हमले और मौत का इस्तेमाल वोट के लिए कर रहे हैं”  यही वो बयान है जो वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ ने अपने यूट्यूब [more…]

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पहला पन्ना 

सुप्रीम कोर्ट ने दिए कार्यपालिका को उसकी लक्ष्मण रेखा याद दिलाने के संकेत

एक अरसे बाद उच्चतम न्यायालय की यह टिप्पणी कि “हमारा संविधान अदालतों को मूक दर्शक बने रहने की परिकल्पना नहीं करता है, जब नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का [more…]