कर्नाटक चुनाव: राष्ट्रीय पार्टियों के ‘शिकार’ से बचकर रहें, जेडीएस के उम्मीदवारों को देवेगौड़ा की नसीहत

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नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव 10 मई को मतदान के साथ खत्म हो चुका है। तमाम उम्मीदवारों के भाग्य ईवीएम में बंद होने के बाद अब सबकी नजर 13 मई को आने वाले परिणाम पर है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम को लोग गेम चेंजर बता रहे हैं। लेकिन चुनाव परिणाम के पहले राज्य में कयासों का बाजार गरम है। एग्जिट पोल और सर्वे ने अलग-अलग अनुमान लगा कर राजनीतिक दलों की धड़कन को बढ़ा दिया है। कोई सर्वे भाजपा तो कोई कांग्रेस की बढ़त का अनुमान लगा रहे हैं। कुछ सर्वे में राज्य में त्रिशंकु विधानसभा का अनुमान लगाया है। लेकिन इन तमाम सर्वे औऱ एग्जिट पोल में एक बात साफ है कि जेडीएस को बहुत कम सीट मिलने का अनुमान है।

एग्जिट पोल में जेडीएस को कम सीट जीतने का दावा किया जा रहा है। त्रिशंकु विधानसभा और जेडीएस की कम सीटें जीतने के अनुमान के बीच राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा आम है कि बहुमत से दूर सबसे बड़ा दल जेडीएस के विधायकों को तोड़ने की कोशिश करेगा। वहीं त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में जेडीएस अपने को एक बार फिर किंगमेकर की भूमिका में देख रही है। लेकिन पार्टी के सर्वोच्च नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा अपने विधायकों को लेकर अतरिक्त सतर्कता बरत रहे हैं।

क्योंकि पिछली बार भाजपा ने जेडीएस के कई महत्वपूर्ण एमएलए को तोड़कर अपनी सरकार बना ली थी। ऐसी चर्चा है कि इस बार एच. डी. देवेगौड़ा ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को जीते हुए विधायकों पर नजर रखने की सलाह दी है। और उन्हें भाजपा या कांग्रेस का ‘शिकार’ न बनने की सलाह दी है।

एक तरफ तो उन्हें डर है कि किसी पार्टी को बहुमत न मिलने की स्थिति में इनके एमएलए कांग्रेस या भाजपा का दामन न थाम सकते हैं तो दूसरी ओर उन्हें लग रहा है कि वो ‘किंगमेकर’ की भूमिका में भी आ सकते हैं। जबकि कुछ सर्वे एजेंसियों का निष्कर्ष है कि जेडीएस को पिछली बार से भी कम सीटें मिलने की आशंका है। यदि ऐसा हुआ और बीजेपी बहुमत के करीब रही तो तोड़फोड़ में माहिर यह पार्टी जेडीएस में सेंध लगा सकती है। पिछली बार बीजेपी ने जेडीएस पार्टी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष एच.विश्वनाथ को अपने पाले में कर लिया था।

वोकालिगा के एक वरिष्ठ नेता के. गोपालैया भाजपा में शामिल हो गए थे।  उन्हें उत्पाद शुल्क मंत्री बनाया था। विधायक के. आर. और डॉ. सी. नारायण गौड़ा भी दलबदल कर भाजपा के साथ हो गए थे। भाजपा ने सरकार बनाने के लिए 2019 में कांग्रेस और जद (एस) के 17 विधायकों को खरीद लिया था। इसे ध्यान में रखते हुए कांग्रेस कुछ सीटें कम पड़ने की स्थिति में योजना के साथ तैयार है।

यही डर है देवेगौड़ा और कुमारस्वामी का। इसीलिए व्यक्तिगत रूप से भी अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के संपर्क में हैं। खासकर उन लोगों के साथ जिन्होंने भाजपा और कांग्रेस पार्टियों से दलबदल कर जद (एस) से चुनाव लड़ा था। इसीलिए देवेगौड़ा अपने उम्मीदवारों को दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के ‘शिकार’ होने बचने की नसीहत दे रहे हैं।

कर्नाटक के चुनाव नतीजे पूरे देश की राजनीति पर असर डालेगा। पिछले कई वर्षों से देश में सांप्रदायिक और नफरत की हिंसात्मक राजनीति अपनी जड़ें गहरी करती जा रही हैं और महंगाई, बेरोजगारी की समस्या बढ़ रही है। भाजपा संविधान को ताक पर रखकर मनमाना शासन चला रही हैं। ऐसे में लोगों की निगाहें कर्नाटक पर टिकनी स्वभाविक ही है। कर्नाटक चुनाव 2024 के चुनाव के पहले देश की जनता के मूड का लिटमस टेस्ट है।

कर्नाटक में वोटिंग समाप्त होने के बाद से ही तमाम एक्जिट पोल आने शुरु हो गए हैं। जिनमें कई नामचीन और बड़ी एजेंसियों ने परिणाम को लेकर भविष्यवाणियां कर दी हैं। किसी के सर्वे का नतीजा यह बता रहा है कि भाजपा को बढ़त है और वो सरकार बनाने जा रही है तो दूसरी एजेंसी का कहना है कि कांग्रेस पाटी को बहुमत मिलने जा रहा है।

कई एजेंसियां त्रिशंकु यानि हंग असेम्बली की संभावना जता रही हैं। परंतु इनमें से ज्यादातर सर्वे करने वाली एजेंसियों ने कांग्रेस पार्टी को बहुमत के आंकड़े देकर सरकार बनाने की भविष्यवाणियां की हैं। इसलिए हंग असेम्बली की स्थिति में जेडीएस पार्टी इसबार सतर्क हो गई है।

 (जनचौक संवाददाता आजाद शेखर की रिपोर्ट।)

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