Author: विजय शंकर सिंह
लोकतंत्र के सिरमौर रहे भारत पर उठने लगी है दुनिया में अंगुली
दुनिया में जब भी उदार परंपराओं, विरासत, संस्कृति और समाज की चर्चा होती है तो, भारत का नाम सबसे पहले लिया जाता है। पाश्चात्य संसार [more…]
बीजेपी के बंगाल में सत्ता के सपनों पर किसान मोर्चे का तुषारापात
किसान आंदोलन की गूंज बंगाल के चुनाव में सुनाई देने लगी है। किसान एकता मंच ने एक अपील देश के उन राज्यों जहां फिलहाल चुनाव [more…]
चुनाव आयोग शायद भूल गया, कभी शेषनादेश ही होता था शासनादेश!
नंदीग्राम में ममता बनर्जी पर हमला हुआ या वह दुर्घटना में घायल हुयीं या यह कोई राजनीतिक ड्रामा था, इस पर सबकी अलग-अलग राय हो [more…]
भारतीय कृषि व्यवस्था की रीढ़ हैं महिलाएं
यदि एक शब्द में इस सौ दिन से चल रहे किसान आन्दोलन की उपलब्धि बतायी जाए तो वह है जनता का तंद्रा से उठ खड़ा [more…]
‘आंदोलनजीवी’ किसानों ने ही बदला है देश का इतिहास
किसान आंदोलन अपने सौ दिन पूरे करने जा रहा है। पर न तो बातचीत हो रही है और न ही बातचीत की तारीख तय हो [more…]
शिक्षा बजट में कटौती: अनपढ़ और जाहिल समाज मौजूदा सत्ता की पहली पसंद
बजट 2021 – 22, सरकारी सम्पदा को बेचने यानी सरकार के शब्दों में विनिवेशीकरण या निजीकरण का एक दस्तावेज है, और इसे साइबर की तकनीकी [more…]
अंग्रेजों के सेडिशन कानून में बसती है बीजेपी की आत्मा!
सेडिशन, धारा 124A के अनेक मुकदमों में सबसे ताज़ा और विवादास्पद मुकदमा दिशा रवि का है, जिन्हें किसान आंदोलन 2020 के समर्थन में, एक टूलकिट [more…]
कम वेतन पाने वाला पत्रकार अधिक खतरनाक होता है!
पत्रकारों को कम वेतन नहीं देना चाहिए। कम वेतन पाने वाला पत्रकार अधिक खतरनाक हो सकता है। कभी यह रोचक निष्कर्ष निकाला था, पूर्व अमेरिकी [more…]
लद्दाख डिसइंगेजमेंट: अपनी जमीन गंवाने के बाद भी सीने को 56 इंच फुलाए रखने का राज कोई मोदी से सीखे!
अप्रैल 2020 से चल रहा, भारत चीन का लद्दाख सीमा विवाद अब सुलझ गया है। डिसइंगेजमेंट की लंबी वार्ता के बाद, चीन और भारत अपनी [more…]
बजट है या देश बेचने का दस्तावेज?
कहने को तो हमारा सालाना बजट आम बजट कहलाता है, पर यह धीरे-धीरे खास बजट बन गया है। आम लोगों की संसद में, आम लोगों [more…]